Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

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Page 598
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तलसी शब्द-कोश 1143 'हार, हारइ, ई : आ०प्रए० (सं० हारयति>प्रा० हारइ) पराजित होता या ____ अनुभव करता है । 'बिधंस कृत मख देखि मन महं हारई ।' मा० ६.८५ छं० हारति : वकृ०स्त्री० । हारती, गवांती । 'यह बिचारि अंतरगति हारति ।' गी० ५.१९.३ हारहिं : आ०प्रब० (अ०) । हार जाते हैं, पराजित (क्षीण) होते हैं । 'हारहिं सकल सलभ समुदाई ।' मा० ७.१२०.५ हारहि : आ०मए० (अ०) । तू हार, खो दे, गवां दे। 'हारहि जनि जनम जाय ।' विन० १३०.२ हारा : भूकृ००। (१) पराजित हुआ । 'हियं हारा भय मानि ।' मा० ४८ (२) दाव पर लगा दिया (रखो दिया)। 'अब मैं जन्म संभु हित हारा।' मा० १.८१.२ हारि : (१) सं०स्त्री० । पराजय । 'मानि हारि मन मैन ।' मा० १.१२६ (२) पूकृ० । हार कर, पराजित होकर । 'हारि परा खल बहु बिधि ।' मा० ३.२६ (३) (समासान्त में) वि.पु. (सं० हारिन्) हरने वाला । 'संसय-भय हारि ।' विन० १०६.१ हारियो : भकृ०पु०कए । हारना । 'प्रभु के हाथ हारिबो जीतिबो नाथ ।' विन० २४६.४ हारी : (१) भकृ-स्त्री० । दाव पर खोदी, गवा दी। 'मनहुँ सबन्हि सब संपति हारी।' मा० २.१५८.८ (२) हारी गई। कहा भयो कपट जुआ जो हौं हारी।' कृ०६० (३) हरि । पराजय । 'प्रगट त दुरत न मानत हारी।' कृ० २२ (४) ग्लानि, थकावट । 'मोहि मग चलत न होइहि हारी।' मा० २.६७.१ (५) (समासान्त में) वि.पु. (सं० हारिन्) । हरने वाला । 'सब विधि तुम्ह प्रनतारति-हारी।' मा० ७.४७.३ हारें : क्रि०वि० । हारे हुए, पराजित दशा में, थके से होकर । 'हिये हारें.. चले जाहिं ।' मा० २.३००.८ हारे : भूक००ब० (सं० हारित>प्रा० हारिय) । (१) पराजित हुए। (२) गवा दिये (दे दिये)। 'मम हित लागि जन्म इन्ह हारे।' मा० ७.८.८ (३) शिथिल हो गये । थके बिलोकि पथिक हियँ हारे।' मा० २.२७६.५ (४) हारें । हारने से । तिन्ह के हाथ दास तुलसी प्रभु कहा अपनपी हारे ।' विन० १०१.३ हारे : आ०-भक००+उए । मैं हार गया। 'हृदयं हेरि हारेउँ सब ओरा।' मा० २.२६१.७ हारेउ : भूक००कए० । हार गया, थक गया । 'हारेउ पिता पढ़ाई पढ़ाई ।' मा० ७.११०.८ For Private and Personal Use Only

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