Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

View full book text
Previous | Next

Page 591
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 1136 तुलसी शब्द-कोश हरषी : भूकृ०स्त्री०व० । प्रसन्न (पुल कित) हुई। 'देखि मातु सब हरषीं।' मा० ७.११ हरषी : (१) भूक०स्त्री० । प्रसन्न (पुलकित) हुई । 'हरषी सकल मर्कट अनी।' मा० ६.८६ छं० (२) हरषि । 'नभ तें भवन चले सुर हरषी ।' मा० ५.३४.८ हरषु : हरष+कए । अद्वितीय हर्ष । 'हरषु बिरह अति ताहु ।' मा०७.४ हरणे : भूकृ.पुब ० । प्रसन्न (पुलकित) हुए। मा० ७.४.८ हरउ : भूक००कए० । प्रसन्न (पुलकित) हुआ । 'देखत हनूमान अति हरषेउ।" मा० ७.२.१ हरष्यो : हरणे उ । 'हरव्यो हिय हनूमानु ।' कवि० ६.३० हरस : हरष । गी० ६.२२.४ हरहाई : वि०स्त्री० । हरहट गाय आदि जो अपना गोल छोड़ कर खेत चरने निकल जाती और रक्षक को देखते ही भागकर गोल में छिप जाती है। 'जिमि कपि लहि घालइ हरहाई । मा० ७.३६.२ हरहिं, ही आ०प्रब० । हरण करते हैं, मिटाते हैं, निरस्त करते हैं । मा० ७.७४ ख; २.६१.२ हरहि : हर को, शिव को । 'परिछन चली हरहि हरषानी।' मा० १.६६.३ हरहु, हू : आ०मब० (सं० हरथ, हरत>प्रा० हरह>अ० हरहु)। हरते हो, हरो। 'हरहु बिषम भव पीर ।' मा० ७.१३०; ३.१३.१६ ।। हरहुगे : आ०भ००मब० । हरोगे । 'दुसह दुख हरहुगे ।' विन० २११.३ हरांसू : हरांस (दे० हरास) कए । अप्रतिम मनोव्यथा । 'बय बिलोकि हिय होइ हरांसू ।' मा० २.५६.४ हराम : वि० (अरबी) । अविहित, वजित, निषिद्ध (हा राम) । 'हराम हो हराम हन्यो।' कवि० ७.७६ हवराहिं : आ०प्रब० । हराते-ती हैं; पराजित करते-करती हैं । 'करहिं आपु सिर धरहिं आन के, बचन बिरंचि हरावहिं ।' कृ० ४ हरास : संपु (फा० हिरास=खौफ; हिरासीदन् =शङ्का करना)। आशङका+नैराश्य+त्रास से युक्त मनोव्यथा । 'धनुष तोरि हरि सब कर हरेउ हरास ।' बर० १६ हरि : (क) पूकृ० (सं० हृत्वा>प्रा० हरिअ>अ० हरि)। हरण करके, अपहृत करके (आदि)। 'सठ सूनें हरि आनेहि मोही।' मा० ५.६.६ (ख) सं०पू० (सं.)। (१) विष्णु । 'बिधि हरि हर पद पाइ।' मा० २.२३१ (२) राम (विष्णुरूप) । 'पुनि निज भवन गवन हरि कीन्हा ।' मा० ७.१०.२ (३) राम (दुःख हरने वाला-इरतीति हरिः) । 'धनुष तोरि हरि सब कर हरेउ हरास ।' बर० १६ (४) इन्द्र । जैसे, 'हरिधनु' । गी० ७.१९.२ (५) सिंह । 'जिमि हरि For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612