Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books

View full book text
Previous | Next

Page 574
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir तुलसी शब्द-कोश 1119 सोषिहैं : आ०भ० प्रब० । सोख लेंगे, सुखा डालेंगे। 'राघो बान एकहीं समुद्र सातौ सोषिहैं।' कवि० ६.२ सोपेउ : भूक०पु०कए । सुखा डाला। 'सोषेउ प्रथम पयोनिधि बारी ।' मा० ६.१.२ सौर्षों : आ० उए । सुखा डालू, सोख लू । सोषौं बारिधि बिसिख कृसानू ।' मा० ५.५८.१ सोसि : (सं० सोसिसः असि) । तू वह है। 'जोसि सोसि तव चरन नमामी।' मा० १.१६१.५ सोसु : (समासान्त में) वि०पु०कए० (सं० शोषः, शोषम् >प्रा० सोसो, सोसं> अ० शोसु) । सोषक, सुखा डालने वाला । 'नाम कुंभज सोच-सागर-सोस् ।' विन० १५६.४ 'सोह, सोहइ, ई : आ०प्रए० (सं० शोभते>प्रा० सोहइ)। सुशोभित होता है, शोभा पाता है । 'सोह न राम पेम बिन ग्यान् ।' मा० २.२७७.५ 'ताहि कि सोहइ ऐसि लराई ।' मा० ६.६६.२ 'मध्य दिवस जनु ससि सोहई ।' मा० ६.३५.४ सोहत : वकृ०० । सुशोभित होता-होते । मा० २.१४१ सोहति : वकृ०स्त्री० । सुशोभित होती। 'उभय बीच सिय सोहति कैसें ।' मा० २.१२३.२ सोहमस्मि : यह वैदिक महावाव्य है जिसकी अद्वैतपरक व्याख्या है :-स:=ब्रह्म, अहम् = जीव, अस्मि = हूं=में ब्रह्म हूं । अर्थात् जीव ब्रह्म ही है। विशिष्टा द्वैत की व्याख्या कुछ भिन्न है :-जीव अंश होने से अंशी ब्रह्म का अङ्गरूप है अत: वह ब्रह्म से अभिन्न है-पृथक् उसकी सत्ता ही नहीं। जीव जब इसी प्रतीति को सिद्ध कर लेता है तो चित्तवत्ति अखण्ड (अविच्छिन्न) रूप में एकाकारता (अखण्डरूपता) अनुभव करती है। यही अखण्डवृत्ति है । 'सोहमस्मि इति बृत्ति अखंडा।' मा० ७.११८.१ सोहर : शोर (?)। कोलाहल । 'लखि लौकिक गति संभु जानि बड़ सोहार । भए सुंदर सत कोटि मनोज मनोहर ।' पा.मं० १११ (यहाँ 'शोहरा' या _ 'शोहरत' से तात्पर्य है जिसका ‘ख्याति' अर्थ होता है)। सोहहि, हीं : आ.प्रब० (अ०) । सुशोभित होते हैं । मा० ६.६५.७, ७.२६ छं० सोहा : (१) भूकृ०० (सं० शोभित >प्रा० सोहिअ)। सुशोभित हुआ। मा० __७.५६.१० (२) सोहइ । 'राम नाम बिन गिरा न सोहा ।' मा० ५.२३.३ सोहाइ, ई : (१) सुहाई । रुचता है, रुचता हो । 'नीति बिरोध सोहाइ न मोही।' मा० ७.१०७.३ 'सुन हु करहु जो तुम्हहि सोहाई ।' मा० ७.४३.४ (२) सोहइ । 'चंपक हरवा अंग मिलि अधिक सोहाइ।' बर० १२ For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612