Book Title: Tulsi Shabda Kosh Part 02
Author(s): Bacchulal Avasthi
Publisher: Books and Books
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
तुलसी शब्द-कोश
1105
सूझा : सूझ । (१) सूझता है, जान पड़ता है। 'चोंच भंग दुख तिन्हहि न सूझा।'
मा० ६.४०.१० (२) दिखाई पड़ा। दिसि अरु बिदिसि पंथ नहिं सूझा ।' मा०
३.१०.११ सूझि : सं०स्त्री० । सूझबूझ, समझ । 'आपनि सूझि कहौं ।' कवि० ६.२८ सूझ : सूझइ । 'देखत सुनत समुझतहू न सूझ सोई ।' कवि० ७.१२० सूझ्यौ : भूक००कए । दिखाई पड़ा । 'स्वामि न सूझ्यो नयन बीस मंदिर के से __ मोखे ।' गी० ५.१२.५। सूत : सं०० (सं.)। (१) सारथि । 'दूसरें सूत बिकल तेहि जाना।' मा०
६.४२.८ (२) चारण (ब्राह्मणी में क्षत्रिय से उत्पन्न संकरवर्ण अथवा क्षत्रिया में वैश्य से उत्पन्न) । 'मागध सूत बंदिगन गायक ।' मा० १.१६४.६ (३) (सं० सूत्र>प्रा० सुत्त) । तागा, डोरी। 'मनहुँ भानु मंडलहि संवारत धर्यो सूत बिधि सुत विचित्र मति ।' गी० ७.१७.३ (४) (फा० सूद) लाभ, मूलधन पर मिलने वाला व्याज, व्यवसाय का नफा । सुहृद समाज दगाबाजिही को सौदा सूत ।' विन० २६४.२ (५) भूक०० (सं० सुप्त>प्रा० सुत्त)। सोया हुआ,
सोता है । जिमि टिट्टिभ खाग सूत उताना ।' मा० ६.४०.६ सूतत : सूत+वकृपु० । सोता हुआ। 'महामोह निसि सूतत जाग।' मा०
६.५६.७ सूता : सूत । सोया हुआ । 'देखा बाल तहाँ पुनि सूता।' मा० १.२०१.५ सूतिहों : सूत+भ० उए । सोऊंगा । 'प्रसाद राम नाम के पसारि पाय सूतिहौं ।'
कवि० ७.६६ सूत्र : सं०० (सं०) । (१) धागा । (२) कटि भूषणविशेष । 'कल किकिनि कटि
सूत्र मनोहर ।' मा० १.३२७.४ सूत्रधर : सं०० (सं.)। (१) नाट्य निर्देशक = सूत्रधार । (२) कठपुतली नचाने
वाला जो तागा हाथ में पकड़े हुए पुतलियों को विविध गति देता है । 'सारद
दारुनारि सम स्वामी । राम सूत्रधर अंतरजामी।' मा० १.१०५.५ सदन : वि० (सं०) । विनाशक, मारने वाला । जैसे, रिपुसूदन । 'तब सुबाहु-सूदन __ जसु सखिन्ह सुनायउ ।' जा०म० ७८ सुधौ : भूकृ.पु०कए । मार डाला । 'ससि समर सूधी राहु ।' गी० १.६७.४ सूद्र : सं०० (सं० शूद्र) । अन्त्यज, वर्ण व्यवस्था में चतुर्थ वर्ग । मा० ७.६७.१ सूदु : सूद्र+कए । मा० २.१७२.६ सूध : वि०पू० (सं० शुद्ध>प्रा० सुद्ध)। (१) निष्कलुष, अमिश्रित । 'सूध दूध. ___ मुख करिअ न कोहू ।' मा० १.२७७.१ (२) सरल, निश्छल । 'काह करौं सखि
सूध सुभाऊ ।' मा० २.२०.८ सूषि : सूधी । 'जोंक सूधि तन कुटिल गति ।' दो० ४००
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592 593 594 595 596 597 598 599 600 601 602 603 604 605 606 607 608 609 610 611 612