Book Title: Tattvarthadhigam Sutra
Author(s): Labhsagar Gani
Publisher: Agamoddharak Granthmala

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Page 33
________________ श्री तत्त्वार्थाधिगमसूत्रम् (३४) जरावण्डपोतजानां गर्भः । जरायुज ( ओर वाला), अंडज (ईडे में से होने वाला ) और पोतज (कपड़े) की तरह साफ उत्पन्न होने वाला) . . इन तीन का गर्भ नामक जन्म होता है-१ मनुष्य, गाय, वगेरा जरायुज । २ सर्प, चंदन गोयरा, काचवा, पक्षी वगेरा अंडज और ३ हाथी, ससला (खरगोश) नोलिया वगेरा पोतज । (३५) नारकदेवानामुपपातः । नारकी और देवताओं को उपपात जन्म है १ नारक की उत्पत्ति कुम्भी और गोखडे में जाननी; २ देव की उत्पत्ति देवशय्या में जाननी। (३६) शेषाणां सम्मूर्च्छनम् । बाकी जीवों का जन्म समूर्छन है। माता पिता के संयोग बगेर मिट्टी, पानी, मलीन पदार्थों वगैरा में स्वयमेव (आप से आप) उपजे वह संमूर्छन । । . (३७) औदारिक-वैक्रिया-हारक-तैजस-कार्मणानि शरीराणि । ___ औदारिक, वैक्रिय, आहारक, तैजस और कार्मण. ये पांच प्रकार के शरीर है। (३८) तेषां परं परं सूक्ष्मम् । उन शरीरों में एक एक से आगे आगे का सूक्ष्म है। (३६) प्रदेशतोऽसङ्ख्येयगुणं प्राक् तैजसात् । तेजस शरीर के पहले के तीन शरीर प्रदेश में एक एक से असंख्यात गुण है। (४०) अनन्तगुणे परे

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