Book Title: Tarangvati Author(s): Pritam Singhvi Publisher: Parshwa International Shaikshanik aur Shodhnishth PratishthanPage 11
________________ विषाद, चेटी का आश्वासन, तरंगवती की कामार्तता, पद्मदेव से मिलने को जाने का निश्चय, प्रियमिलन के लिए प्रयाण, प्रियतम के दर्शन, प्रेमियों का मिलन, तरंगवती के साहस के कारण पद्मदेव चिंतित, भाग जाने का निर्णय. प्रेमियों का पलायन दूती को साथ में लिये बिना प्रयाण, अपशुकन, नौकाप्रवास, तरंगवती की आशंका, आशंका का निवारण, गांधर्वविवाह, प्रातःकाल, उतराण : लुटेरों की टोली की पकड़ में, सामना न करने को तरंगवती की प्रार्थना, लुटेरों के बंदी बने. चोरपाली पल्लीवासियों के विविध प्रतिभाव, चोरसेनापति, पद्मदेव बंधन में, तरंगवती का विलाप, प्रोत्साहक गीतश्रवण, अमिट कर्मविपाक, सहृदय बंदिनियों को संकटकथा सूनाना. अनुकंपा से प्रेरित चोर का छुडाने का वचन, निशा का · प्रारंभ, बंधनमुक्ति एवं चोरपल्ली में से पलायन, संकटपूर्ण वन्य मार्ग का प्रवास, - चोर का अल्विदा : आभार दर्शन, वस्ती की ओर प्रस्थान, क्षायक गाँव पहुँचना, गाँव का तालाब, उत्सुक ग्रामीण तरुणियों, आहार की तलाश, सीतादेवी के मंदिर में आश्रय. प्रत्यागमन खोज में निकले स्वजन से मिलन, गुरुजनों का संदेश : भोजनव्यवस्था, प्रणाशकनगर में विश्रांति, प्रणाशकनगर से विदा, वासालिय गाँव में आगमन, कौशाम्बी की सीमा में प्रवेश, नगरप्रवेश, अगवानी, स्वागत और पुनर्मिलन, विवाहोत्सव, सारसिका से प्राप्त वृत्तांत (श्रेष्ठी का दुःख एवं रोष, सेठानी का विलाप, तरंगवती की तलाश और उसका प्रत्यानयन), दंपती का आनंद विनोद, ऋतुचक्र, उपवनविहार व्याधकथा श्रमण के दर्शन, वंदना, धर्मपुच्छा, धर्मोपदेश, (जीवतत्त्व, कर्म, संसार, मोक्ष,) श्रमण का पूर्ववृत्तांत, (व्याध का पूर्वभव, व्याध का कुलधर्म, व्याध का जीवन, हाथी के शिकार पर, अकस्मात् चकवाक वध, चक्रवाकी और व्याध की अनुमृत्यु, श्रीमंत कुल में व्याध का पुनर्जन्म, द्यूत की लत, नगरी का त्याग और चोरपल्ली में आश्रय, चोरसेनापति, व्याध की क्रूरता, चोरों का तरुण दंपती को बंदी बनाना, तरुणी का आत्मवृत्तांत, व्याध को पूर्वभव का स्मरण,Page Navigation
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