Book Title: Stavan Manjari Author(s): Amrutlal Mohanlal Sanghvi Publisher: Sambhavnath Jain Pustakalay View full book textPage 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir फूलडां केरां बागमां, बेठा श्रीजिनराज । जिम तारामां चन्द्रमा, तिम सोहे महाराज वाडी चम्पों मोगरो, सौवन कुंपलिया । चौविस तीर्थंकर पूजिये, पंचो आंगुलिया प्रभुनामकी औषधी, खरे मनसे खाय । रोग शोक व्यापे नहीं, महादोष मिट जाय ॥ १४ ॥ For Private And Personal Use Only ॥ १५ ॥ ॥ १६ ॥ प्रभुनाम अमोल है, या जगमें नहिं मोल । नफा बहुत टोटा नहीं, भर भर मुखसे बोल आभने बहाली वीजली, धरतीने वहालो मेह | राजुल वहाला नेमजी, आपनो बहालो देह अरिहंत सिद्ध आचारज भला, उपाध्याय महाराज | साधु सेवा भावसे, यह पांच ही मंगलिक काज विघ्नहरण मंगलकरन, आदिनाथ भगवान | ॥ २० ॥ भजने से भव दुःखहरे, निश्चय दिलमें जान शांतिनाथ प्रगट परमेश्वर, अरि विघ्न सब दूर करो । वाट घाट में समरुं साहिब, भय भंजन चकचूर करो ॥ २१ ॥ लीला लछी दास तुमारो, कोई सेवे ने कोई अरज करे । नजर करी और निरखो साहिब, तूम सेवक अरदास करे ।। २२ । पार्श्वनाथ को सुमरिये, एकाग्रह चित्त लाय । सर्व रोग दूरे टले, सकल विघन टल जाय स्तवनमंजरी 11 20 11 ॥ १८ ॥ ॥ १९ ॥ ॥ २३ ॥ ( ३ )Page Navigation
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