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विद्या गुरु
[१३] आयिका दीक्षा गुरु - परम पूण्य कर्मठ तपस्वी, अध्यात्मवेत्ता, चारित्र शिरोमणि, दिगम्ब
राचार्य १०८ श्री शिवसागरजी महाराज। शिक्षा गुरु
परम पूज्य सिद्धान्त वेत्ता प्राचार्यकल्प १०८ श्री श्रुतसागर जी
महाराज। - परम पूज्य अभीक्षा शानोपयोगी श्री १०८ श्री अजितसागरजी
- महाराज । दीक्षा स्थान
श्री अतिशय क्षेत्र पपौराजी (म०प्र०) दीक्षा तिथि
- सं० २०२१ श्रावण शुक्ला सप्तमी
दि० १४ अगस्त १९६४ ई० वर्षा योग
सं० २०२१ में पपौरा क्षेत्र पर दीक्षा हुई पश्चात् क्रमशः श्री अतिशय क्षेत्र महावीरजी, कोटा, उदयपुर, प्रतापगढ़, टोडारायसिंह, भिण्डर, उदयपुर, अजमेर, निवाई, रेनवाल (किशनगढ़), सवाई माधोपुर,
सीकर, रेनवाल (किशनगढ़), निवाई, निवाई, टोडारायसिंह । जिनमुखोद्भव साहित्य-सृजन (टीकाएँ) १ श्रीमद् सिद्धान्त चक्रवर्ती ने मिचन्द्राचार्य विरचित त्रिलोकसार की सचित्र हिन्दी टीका । २ भट्टारक सकल कीाचार्य विरचित सिद्धान्तसारदोपक अपर नाम त्रैलोक्यसार दीपक की
हिन्दो टीका । मौलिक रचनाए':-१ श्रुत निकुज के किचित् प्रसून । (व्यवहार रत्नत्रय की उपयोगिता)।
२ गुरु गौरव ।
३ श्रावक सोपान और बारह भावना । संकलन - १ शिवसागर स्मारिका २ प्रात्म-प्रसून । सम्पादन -- १ समाधि-दीपक २ श्रमाचर्या
३ दीपावली पूजन विधि ४ श्रावक सुमन संचय प्रादि । विशेष धर्म प्रभावना-पापकी प्रखर और मधुर वाणी से प्रभावित होकर श्री दि. जैन
समाज जोबनेर जि. जयपुर ने श्री शान्तिवीर गुरुकुल को स्थायित्व प्रदान करने हेतु श्री दि. जैन महावीर चैत्यालय का नवीन निर्माण कराया एवं आपके सानिध्य में ही वेदी प्रतिष्ठा कराई। जम धन एवं पावागमन आदि अन्य साधन विहीन प्रलयारी ग्राम स्थित जिन