Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

View full book text
Previous | Next

Page 220
________________ संशयितश्लोकाः। ११५ भोगा भरवृत्तयो बहुविधास् तैरेव चायं भवस् तत् कस्यैव कृते परिभ्रमत रे लोकाः कृतं चेष्टितैः । आशापाशशतोपशान्तिविशदं चेतः समाधीयतां कामोच्छित्तिवशे खधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः ॥ २९२ ॥ भोगास् तुङ्गतरङ्गभङ्गचपलाः प्राणाः क्षणध्वंसिनः स्तोकान्येव दिनानि यौवनसुखं प्रीतिः प्रियेष्वस्थिरा । 292 v} Om. in '_NS1.2, and BU114/7. – “) F2 बहुविधैस्; Wat.st [s]पि बहधा (for बहविधास). Ba lacuna from चायं up to शतोप in third pada. W३ -विधस्; X G2.3 भवो; Y1-6 भ्रमस्; M4 हतस्; Ms हितः. - In Ms, the whole second pada is missing and third pada is given twice. -- ") BICDF H I J2.8 Witx Y1.2.8 TG4.5 तत्कस्येह; E Ji M1 तत्कस्येव; F2 सक्तस्येह; F3 तस्यैवेह; Wic.2.3c.4c तत्कस्मै हः Wat तत्कस्मै हिY-तत्तस्यैव: G2. यत्तत्कस्य: G1 M2 चक्रस्येव (for तत कस्यैव), P2 परिभ्रमलते; W1.9.30 X Y1.2 G2-+ परिभ्रमत हेWst परिमज हे; G1 परिभ्रमतटे: M1 परिभ्रमथरे; M2 परिभ्रमतदे; Mवरभ्रततरो (for परिभ्रमत रे). F2 T3 M4 लोकः; F3 Ji लोका; Y: G1 M2.: लोकः. B1 सुखं तिष्टत; W1-3 X Y: G1. 3.4t.v. M2.3 कृतं चेष्टितं. - ') Y: -हतोप: Jशांत विश(J1 पदं; W: शांतिविषदं; Y: M4. 5 (second time) शांतिविवशं; Ms (first time) शांतिविवरं. Y: समाधीयते. -- ") A कामोच्छित्तिविधौ; तापोच्छित्तिवशे; D F3 ICJ Wat Y: (orig.). 5.6 G1.3 M1.2.4 कामोत्पत्तिवशे: F2 कामापत्तिवशे; P; Y1 M. कामोत्पत्तिवशं; V1.2.st.4e G+ काम्योत्पत्तिवशे; We कामोत्पत्तिवशी काम्योत्पत्तिविश- Y: (by corr.).3 G2 कामोत्पत्त्यवशे (Y'श-); Yi.s TG5 कामोत्पत्तिवशात्; Ms गम्योत्पत्ति * *. Fa स्वधाम्नि च यदि;X स्वधामनियतं. G+ अस्मद्वशः. B काप्यात्यंतिकसौख्यधामनि यदि श्रद्धेयमस्मद्वचः. BIS. 4632 (2071) Bhartr. ed. Bohl. 3. 40. Haeb. and Galan 36. lith, ed. I. 37, II. 903; SRK. p. 93. 8 (Bh.); SSD. 4. f. 18a. 293 TV } Om. in A E (hut Es V115, extra), BORI 326, NS1. 3, BU114/7, and Harilal's lith. ed. Benares 1860. -०) BC -चंचलतराः; F4 -लोलचपल-; Ji -भंगचपल- Y1.3-8 TG M -भंग(G+ om. hapl. भंग)तरला.. BIY3 क्षिणध्वंसिनः; W क्षणं ध्वंसिनः. - ") D सुखा प्रीतिः; F+ "मुखं प्रीतिः; J G: सुखप्रीतिः; W Y4-8 T G1 M सुखस्फूर्तिः; X1 °सुखं मिथ्यं; Y: "सुखां मित्थं; G+ °सुखं सूक्ति- (for सुखं प्रीतिः). F1 प्रियेव स्थिरा; F नते सुस्थिरा;J Gs प्रियेषु स्थिता. (J1 ताः); Y1. 3. 6.7 T G4 M1.5 प्रियासु स्थिता (M: 'रा); W (Widoubtful) क्रियासु स्थिता (W4 °ताः); X प्रियासु स्थितं; Y4. सुखा सुस्थिता; Y8 प्रिया नस्थिरा; G1 तथा सुस्थिता; G2.3 स्थिता वस्तुषु; M2 तया सुस्थिता; Ms प्रियाय स्थिरा; Mप्रियास्वस्थिरा (for प्रियवस्थिरा). [The original reading may have been प्रिये अस्थिरा]. -- C subst. the second half of 198* for ed. - ) D एवममलं; Fh.5 Gi M1-4 एवमखिलं; Y: एतदखिलं. Hit.?.st मत्वा; Ji W1.2.4 बुद्धा; X Y बुद्धया (for बुद्धा). DE: 1. बुधान्; G: बुधैर्; M2 बुधो. B F H यौवने; D Es F1-3 IJ Ya G2.3 M1 बोधये; F; बोधने; Y: Gh.4 M2 बोधको; Gs बोधितो; M3 जंतवो (for बोधका). -4) X2 लोकानिग्रह; Ys कालानुग्रह- 13 वरसा (sic) (ior मनसा). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346