Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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१६२
भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे दद्यात् साधुर्यदि निजपदे दुर्जनाय प्रवेश
तमाशायं प्रभवति ततो वाञ्छमानः क्रमेण । तसाद देयो विपुलमतिभिर्नावकाशोऽधमानां
जारोऽपि स्याद् गृहपतिरिति श्रूयते वाक्यतोऽत्र ॥ ५२३ ॥ दन्तैरुच्चलितं धिया तरलितं पाण्यंघ्रिणा कम्पितं
[दृग्भ्यां कुड्मलितं बलेन गलितं रूपश्रिया प्रोषितम् ।] प्राप्तायां यमभूपते नृषु जराधाट्यापि यं सर्वतो __ लोभः केवलमेष एव सुभटो हत्पत्तनं वल्गते ॥ ५२४ ॥ दातव्यं भोक्तव्यं सति विभवे संग्रहो न कर्तव्यः । पश्येह मधुकरीणां संचितमर्थ हरन्त्यन्ये ।। ५२५ ॥ दातारो यदि कल्पशाखिभिरलं यद्यर्थिनः किं तृणैः
सन्तश्चेदमृतेन किं यदि खलास तत्कालकूटेन किम् । किं कर्पूरशलाकया यदि दृशोः पन्थानमेति प्रियः
संसारे हि सतीन्द्रजालमपरं यद्यस्ति तेनापि किम् ॥ ५२६ ॥ दारिद्याद् ह्रियमेति ह्रीपरिगतः सत्त्वात् परिभ्रश्यते
निःसत्त्वः परिभूयते परिभवान् निर्वेदमापद्यते । निर्विणः शुचमेति शोकनिहतो बुद्धया परित्यज्यते
निर्बुद्धिः क्षयमेत्यहो निधनता सर्वापदामास्पदम् ॥ ५२७॥ 523 Bik3280, Ben 60-10 and 57-4 N15. - BIS. 2074 (1104). Paic. ed. Koseg. I. 410. ed. Bomb. 366%; SRB. p. 178. 999.
524 BORI328 V151 (143). Om. b. - SRB. p. 77.523 SRE. p. 68.21 (Prasangaratnavali); Var. in both SRB. and SRK. for ed) प्राप्तायां यमभूपतेरिह महाधाव्यां धरायामियं, तृष्णा केवलमेकिकैव सुभटी धीरा पुरो नृत्यति। SS. 35. 1 (var.); SN. 3333; SSV.1092.
525 Bik3280 N80; 3279 N60. - BIS. 2742 (1127) Paic. ed. Koseg. II. 158. Vikramac. 73. Subhash. 36. 93. 166; Sp. 469; SRB. p. 69. 17%3 SRK. P. 63. 3, p. 222. 6 (Sphutasloka); . 526 BN70. - ") कल्पशालिभि'. - ) संसारो हि मृगेन्द्रजालसदृशो; Ea N43 (42); BORI326 N42. -4) कल्पशाखितरलं: RASB7747 N43 (42); Jod 1N433 Pun2101 N43 (44); Pun697 N43; Ns1N43 (44). - BIS. 2746 (4170), - ") ज्ञातिश्चेदनलेन किं यदि सहदिव्यौषधैः किं फलम्। - ) प्रिया. -4) ऽपि (for हि. Pafic. 1 in Nitisamk. 26. Cat. Cambr. Mss. 10. Subhash. 3083; SRH. 181. 60 (Kavyaprakasa); Sarasvatikanthabharana (KM. 94, p. 443) 4. 71; ST. 1. B2%3; SSD. f. 157a. (bacd); JSV. 301.13
527 - BIS. 2781 (1145). Mrech. 8 1.141. Hit.ed. Schl. I. 128. 143.ed. Calc. 1830. p. 108; SRB. p. 68.71; SRK. p. 56-7.11 (Bh.); Alankarakaustubha (KM.66, p. 360); Tantrākhyayika II. 67, Edgerton II. 40. both निद्रव्यो (for afera in a); SG. f, 36a; SM. 1303; SN, 512; SSV.1287; SKG. f. 16b.
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