Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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१४८
भर्तहरिसुभाषितसंग्रहे रात्रिर्गमिष्यति भविष्यति सुप्रभातं भावानुदेष्यति हसिष्यति पङ्कजश्रीः । इत्थं विचिन्तयति कोशगते द्विरेफे हा हन्त हन्त नलिनी गज उज्जहार ॥९१२
रामस्य व्यसनं बलेनियमनं पाण्डोः सुतानां वनं . .
वृष्णीनां निधनं नलस्य विपदं भीष्मस्य शत्रोहंतिम् । विष्णो मनतां तथार्जुनवधं संचिन्त्य लकेश्वरं ।
सर्व दैववशादुपैति पुरुषः कः कं परित्रायते ॥ ७१३ ॥ रामाणां रमणीयमूरुयुगलं स्वैरं नितम्बस्थली
पृथ्वी चन्द्रविनिद्रमास्यमतुले नेत्रे स्तनौ प्रोन्नती । यद्येतानि जगत्रयीजयविधौ शस्त्राणि चेतो वः
सौख्यानि प्रलपन्तु हन्त कुधियः खेदासहिष्णून्यपि ॥ ७१४ ॥ रामोऽपि भर्ता गणको वशिष्ठः सूर्योऽभिषेकी शुभलनचन्द्रः। सुखं न भुक्तं परमेषु सीता न कर्मणः कोऽपि बली समर्थः ॥ ७१५ ॥ रामो येन विडम्बितोऽमृतमयश चन्द्रः कलङ्कीकृतः
क्षाराम्भः सरितांपतिश च नहुषः सर्पः कपाली हरः। माण्डव्यो वधशूलपीडिततनुर्भिक्षाभुजः पाण्डवा
नीतो येन रसातलं बलिरसौ तस्मै नमः कर्मणे ।। ७१६ ॥ रुष्टे का परपुष्टे मन्दे का हन्त मारुते चर्चा । खयि गतवति हृदयेशे जीवनदातापि जीवनं हरति । ७१७ ॥ रे दारिद्य नमस् तुभ्यं सिद्धोऽहं खत्प्रसादतः। अहं सर्वत्र पश्यामि न मां पश्यति कश्चन ॥ ७१८ ॥ रे रे कोकिल मा भज मौनं किंचिदुदश्चय पञ्चमरागम् । नो चेत् खामिह को जानीते काककदम्बकपिहिते चूते ॥ ७१९ ॥
712 ISI KalankarG92 VID; Sri1300 145. - BIS. 577 (2625). Bhramarastaka 8. in Haeb. 241. Kavyakal. 91. Kavyasadii. 18. Kuvalayananda 159%
BSp. 1181: SRB p.923.78%B SBH. 714; SKIL.19.5; SRH. 35.52 (SriigaraprakAsa); SSV. 10963B SKG. f. 14b.
713 Ady XXIX-E-2NIX-12. - BIS. 5783 (2630). Palic.ed. Koseg. III. 268. ed. Bomb. V. 68. Vikramaca. 80; SRB. p.94. 108; SL. f.40a; SN. 810%; BPB.28%3 SSD.4. f. Ga. 714 Meh S109. 715 Wais extra 4. ....716 Nag299N111; Bik32800 124 (25); 10 1854 1.25a (extra); HU2145 N51 (38). 717 Wai2 S102 a corrupt). - SRB. p. 288. 19.
.718. HU2145 73. - Cf. BIS. 2784 (1148). Vikramaca. 155. .. . . .719. Wai2 extra113; BUN9* (92). - ) तक्ते (for चुते). -- SRB. p. 225. 1313 SRK.p.188.2(Sp.):NT. 10.1: VS. 106%
BSK. 3. 100%; SU. 1178%3 SSD. 2. f.223.
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