Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 274
________________ संकीर्णश्लोकाः। १६९ न हि भवति यन् न भाव्यं भवति च भाव्यं विनापि यत्नेन । करतलगतमपि नश्यति यस्य हि भवितव्यता नास्ति ॥ ५६९ ॥ नागो भाति मदेन कं जलरुहैः पूर्णेन्दुना शर्वरी शीलेन प्रमदा जवेन तुरगो नित्योत्सवं मन्दिरम् । वाणी व्याकरणेन हंसमिथुनैद्यः सभा पण्डितैः __ सत्पुत्रेण कुलं नृपेण वसुधा लोकत्रयं धार्मिकैः ॥ ५७०॥ नाग्निस तृप्यति काष्ठानां नापगानां महोदधिः । नान्तकः सर्वभूतानां न पुंसां वामलोचनाः ॥ ५७१ ॥ नाथे श्रीपुरुषोत्तमे त्रिजगतामेकाधिपे चेतसा सेव्ये स्वस्थ पदस्य दातरि सुरे नारायणे तिष्ठति । यं कंचित्पुरुषाधिपं कतिपयग्रामेशमल्पार्थदं सेवायै मृगयामहे नरमहो मूढा वराका वयम् ॥ ५७२ ॥ नाधीतं शब्दशास्त्रं स्फुटपदविमलं हेतुतत्त्वार्थयुक्तं श्रोणीभारालसाङ्गी कुचभरनमिता लालिता नो मृगाक्षी । विप्रेभ्यो नैव दत्तं न च हुतमनले नार्चितः शंभुदेवो हा कष्टं मन्दभाग्यो मरणवशगतः कं वरं प्रार्थयामि ॥ ५७३ ॥ नामाप्यन्यतरोनिमीलितमभूत् तत् तावदुन्मीलितं प्रस्थाने स्खलतः खवर्त्मनि विधेरन्यैर्गृहीतः करः। लोकशू चायमदृष्टदर्शनदशादृग्वैशसादुद्धृतो युक्तं काठिक लूनवान् यदसि तामाम्रालिमाकालिकीम् ॥ ५७४ ॥ 569 CN108 (109)) तन्न हि भवति।; BORI329 N107 (102); Bik3279 N50%; Bik3280 N69. - BIS. 3619 (1509). Panc. ed. Koseg. II. 11. 133. ed. Bomb. 9. 122. Vikramaca. 54. 149%; SRB. p. 91. 42; SMV.8.26. 570 RASB7747 V122 (last sl., incomplete). -- ") कंबलरहे: Pun2101 v extra2,9= V117.-) त्वया वसमती लोकत्रयं विष्णुना (for नपेण etc.).-BIS. 3545 (1518) Paiicaratna l. in Haeb. 3. Vikramaca. 87. Subhash. 201; SRB. p. 180. 10423B SRK. p. 228.75 (ST.); Vs. 881; SA.8.51; SSD 2. f. 150a%; SHV.app. I. f.90.37; 8s. 10. 323 SK. 6.973; SL. f. 271; BPB. 308%BJSV. 30. 2. 571 Wai2 395. - BIS. 3547 (1520) Mbh. 5. 1538-9 (= BORI. crit. ed. 5.40.6) 13.2226. Pafic. ed. Koseg. I. 153. ed. Orn.112. ed. Bomb. 137. Hit. ed. Sohl. II. 111. Johns. 113. Vikramaca. 35. Subhash. 218. Paicara.1.14.99 = R. 5.50. 12:3p. 1498 (Bhārata, Canakya and Paicakhyāna); SR.B. p. 154. 60%3B SRH. 64.7(Mbh.); Garudamahapurana 109.40%; SHV. 1. 97 b. 183; SS. 35. 10%3B SSD. 2. f. 158b; JS. 409; SKG.f. 4b. 572 - BIS. 8568 (1527).. Santis. 1. 11. in Haeb. 4123B SRB. p. 37 NDP. 376.2585 SDK.5.53.2 (p.312, Bh.); SRH. 200.31 (Yadavaprakasa). 573 Ujj6414 V104 (105); HU468 V107. - BIS. 3575 (1530) Bhartr. in Schiefner and Weber p. 25. *574 -SBH. 1017 (probably Bhallata) ascribed to Bhartr. in preface p. 74%B AMD.833. २२ भ.स. - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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