Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
View full book text
________________
संशयितश्लोकाः ।
लज्जां गुणौघजननीं जननीमिवार्याम् अत्यन्तशुद्धहृदया अनुवर्तमानाः । तेजस्विनः सुखमसूनपि संत्यजन्ति सत्यत्रतव्यसनिनो न पुनः प्रतिज्ञाम् ॥ ३१८ ॥
WWW.
लभेत सिकतासु तैलमपि यत्नतः पीडयन् पिबेच्च मृगतृष्णिकासु सलिलं पिपासार्दितः । कदाचिदपि पर्यटञ् शशविषाणमासादयेन्
न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत् ॥ ३१९ ॥ वरं पर्वतदुर्गेषु भ्रान्तं वनचरैः सह । न मूर्खजनसंपर्क: सुरेन्द्रभवनेष्वपि ॥ ३२० ॥
318 {N} Om. in T1. 2, ISM Kalamkar 195, Telugu ed. 1848, Mysore KB 340, and Adyar XXV-L-2. Extra in W.- 4 ) A0 D E F1. 4. 6 J23 W1. 2 लज्जा; Gs वर्जी (sic.). B1 गुणप्र- ( for गुणौघ ). DF 1.2 - जननी; Ms जननीर् (for 'जननीं ). As C D E1. 3. 6 F I J W1. 2.4 X Y G4 B1 इव स्वाम्; इवस्काम्; ; F1 M5 इवार्या; W3 इवस्याम् (for इवार्याम् ). - ' ) A F3-6 Hit WY 2 - हृदयाम ( A0.1 °न ) नुवर्तमानां; BEO. 1. 2. 3. 5 F1. 2 H2, 3 I J1 Y3–4 T3 G M 'हृदयामनुवर्तमानाः ; C -हृदयामनुभूयमानाः ; D -हृदयो ह्यनुवर्तमानां ; Eat हृदयाः परिवर्तमानाः; J2.3 -हृदितामनुर्वतमानाः (for हृदया अनु found only in X Y 1).
*) Y14 (orig.) सुखमसूनि च; Y1B (orig.) सुखमसूनिव. G4 हि त्यजंति. - * ) B1 सत्यव्रतं; F1 सत्यव्रते J2.3 घनः प्रतिज्ञां; W3 पुनस्त्यजंति; 1 परप्रतिज्ञां ; G5 पुनः प्रतीक्षां; M3-5 पुनः प्रतिज्ञा:
१२५
BIS. 5824 (2655) Bhartr. ed. Bohl. 2. 100. Haeb. 99, lith. ed. I. 108, II. 110. Subhash. 316; SRB. p. 50. 196; SRK. p. 240. 95. (Bh.); SSD. 2. f. 99a,
319_{N} Om in A and BU. Es folio missing. 4) Esm. v. F2W2.3t. 4 (also as in text) X1 Y 2 लभेच्छा. F's तैलमिति. F+पीडनात्. - 1 ) Y1 लभेच्च (for पिबेच्च ). H1.8 - जलमयं ; G1 -सु जलं; G24 M1. 3. 5 - स्वपि जलं (for -सु सलिलं ). - ● ) Eo. 2tY 2 शशि(for शश- ). ~~ * ) X संबोधयेत्; Y+ आराधये ; Y1 आकारयेत्.
BIS. 5837 (2661) Bhartṛ. ed. Bohl. lith. ed. II and Galan 2. 5. Haeb. 3. lith. ed. I. 4; Śp. 415 ( Bh.) ; SRB. p. 41.57 ( Bh.) ; SBH. 447 ( Bh.) ; SRH. 29. 35 ( Bh.); SRK. p. 34. 3 ( Bh.) ; Sahityamīmārsā 7 ( first pāda only, p. 129 ) ; SSD. 2. f. 131b.
320 {N} Found in BDEF 3.5 W [ Also many uncollated N Mss ]. D F5 नो ; E0–2.5 मा ( for न ). D संसर्गो; Eo. 3.5 F3 संसर्गः ; E2 -संसर्ग. [s] सुरेंद्र-; W+ सुरेश. D Eo. it. 3. 5 F5 W3.4 'भुवनेष्वपि
d) D
Jain Education International
BIS. 4975 (2246) Bhartr. ed. Bohl. 2. 11. Haeb. 62. lith. ed. I. 13, II. 14. Galan 7. Samskrtapāthopa. 62. Galan ( var.) 235. Subhāsh. 118, 188; SRB, p, 39. 5; SRK, p. 35. 11 (Bh.); SA. 7. 29; PT. 8. 25; SSD. 2. f. 143b; SSV 667.
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org
Page Navigation
1 ... 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346