Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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१३४
मर्तृहरिसुभाषित संग्रहे
स्थाल्यां वैडूर्यमय्यां पचति तिलखलं चान्दनैरिन्धनोधैः सौवर्णैर्लाङ्गलायैर्विलिखति वसुधामर्कमूलस्य हेतोः ।
~
छित्त्वा कर्पूरखण्डान् वृतिमिह कुरुते कोद्रवाणां समन्तात् प्राप्येमां कर्मभूमिं न चरति मनुजो यस् तपो मन्दभाग्यः ॥ ३४३ ॥ स्थितिः पुण्येऽरण्ये सह परिचयो हन्त हरिणैः
फलैर्मेध्या वृत्तिः प्रतिनदि च तल्पानि दृषदः । इतीयं सामग्री भवति हरभक्ति स्पृहयतां
वनं वा गेहं वा सद्दशमुपशान्तैकमनसाम् ॥ ३४४ ॥ स्नात्वा गाङ्गैः पयोभिः शुचिकुसुमफलैरर्चयित्वा विभो त्यां ध्येये ध्यानं निवेश्य क्षितिधरकुहरग्रावपर्यङ्कमूले ।
343 {N} Om. in A Y2 NS1; Punjab 2101_N_extra 2. 9 ) CF2-3 H2 W1.3 X2 Y4-6.8T वैदूर्यमय्यां; X1 वेडुर्यमय्या. C Wa तिलकणांशू: Eo FXY4.3 ( by corr. ) तिलखलिं; F + W2. 4 तिलखलीं ; Y1A. + तिलकणं; Yase च लशुनं; G1 M1-2 तिलगणं; Get तिलखिलं ; M1.5 तिलमलं (for तिलखलं ). BD Eot at 23. J W1_X G1.3 M_चंदर् B2 DF 2.5 W1X 1 X 1 इन्धनाद्यैः; E F1.3 I J2 Y3-6T1Gs-5 नौघैः; Gat इंदनोयैः. 1 ) B2 लिंगलायैर् ; Hi लांगलायैर; J: लांगुलायैर् ; Wat लंगिलाप्रैर्: Wat लोंगलायैर्. E H I J 1 Wet X 2 Y: विलखति; T: विलिखत D Eat. 3t. st F1.2 H 2 3 JY14c. 4–6. 7 (orig.) TGM अर्कतूलस्य; Fs अर्कमूल्यस्य; Wsc. + X 2 Y 13 कर्ममूलस्य:
९ ) C भित्त्वा B श्रीखंड- (for कर्पूर ). C -वृक्षान्; Eot. 3 -खंड; Y4 G2.3 षंडान् (for -खण्डान् ). E2 वृतिहिम; J3 Go वृतिमिव X कृषिमिव; Y1 कृषिसिंह, M3 वृतिरिह. C कोद्रवस्या - Ja कोद्रवीणां; Wat कौद्रवाणां. Eo-2. ६ विचलति; Jit रचयति; J 10 न चरितः ; Y53TG 4 न भजति J1 M3 मंदभाग्याः.
BIS. 7226 (3311) Bhartr. ed. Bohl. and lith. ed. I 2. 98. lith. ed. II. 100, III: 99. Galan 104; SRB. p. 95. 127; SBH. 3045; SRK. p. 77. 10 (Bh.) SSD. 4. f. 26b.
344 {V } Found in A D E F + V39 [ Also BORI 329 V39; Punjab 2101 V38; BORI 328 and Jodhpur 3 V41; Punjab 697 V37; NS1 V44; NS2 V32 (31); NS3 V110 (extra).] 9 ) Eo.2-4 F + स्थितः ; Est पुण्यारण्ये. F + परिवृतो. As हिरणैः ' ) D मध्या; Eo. 2 मेधा - F+ मूलैर् (for मेध्या) F प्रतिदिनवदत्यापि दृढदः- ९ ) D हि विरक्तौ ; F1 (m.v. as in text ) हरशक्ति (for हरभक्ति ). Est स्पृहयति.
BIS. 7228 (5316) Bhartr. lith, ed. I. 3. 96, II. 33.
in Y7.
345 {V} Om in A, F2, BORI 329, Punjab 2101 and NS1.2. Missing 4 ) Js गंधैः (for गाङ्गैः ). B ( B2 orig. ) C कुसुमजलैर्: X कुसुमचयैर; Yo - फलकुसुमैर्: G4 - कुसुमशतैर्. D [ अ ] पि भो त्यां; F2 विभोस्त्वां G1 निवद्य; M+6 निवेध (for विभो त्वां ). ') BH_ध्यायन्निर्विश्य पश्यन् ( Hat तस्य ) ; C J2 ध्येयं ध्याने ( Jat ) निवेश्य ; : क्वापि ध्यानं निवेश्य; Eet. 3t. at F2 ध्येये ( Es °यं ) ध्यानं नियोज्य ( F2 ज्यं); Fa
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