Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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संकीर्णश्लोकाः।
१८९ उद्यानेषु विचित्रभोजनविधिस् तीव्रातितीनं तपः
कौपीनावरणं सुवस्त्रममितं भिक्षाटनं मण्डनम् । आसनं मरणं च मङ्गलसमं सत्यं समुत्पद्यते • तां काशी परिहत्य हन्त विबुधैरन्यत्र किं स्थीयते ॥ ४३०॥
उपदेशो हि मूर्खाणां प्रकोपाय न शान्तये ।' पयःपानं भुजंगानां केवलं विषवर्धनम् ॥ ४३१ ॥ उरो मासद्वये जाते त्रिभिमोसेंस तथोदरम् । चतुमासैनितम्बं च हस्तपादाविव स्थितः॥४३३॥ एक एव खगो मानी चिरं जीवतु चातकः। पिपासितो वा म्रियते याचते वा पुरंदरम् ॥ ४३३ ॥ एक एष सतां दोषो द्वितीयो नोपपद्यते । यदेनं क्षमया युक्तमशक्तं मन्यते जनः ॥ ४३४ ॥ एकान्तशीलस्य दृढव्रतस्य पञ्चेन्द्रियप्रीतिनिवर्तकस्य । अध्यात्मचिन्तागतमानसस्य मोक्षो ध्रुवं तस्य सहंसकस्य ॥ ४३५॥ एतस्मात् कथमिन्द्रजालमपरं स्त्रीगर्भवासोऽस्थिरं
रेतः श्वे[श्यो ?]तति मस्तमस्तकपदाविर्भूतनानाङ्कुरम् । पर्यायेण शिशुखयौवनजरावेषैरशेषैर्वृतं
पश्यत्यत्ति शृणोति जिघ्रति मुहुर्निद्राति जागर्ति च ॥ ४३६ ॥ 430 EV983; F V105 (104); GVS 2387 V90%; BORI 331 V123; BORI 381/1884-87 V99 Meh and Bik3278 V102; Bik3279 V109 (6); Bik3280 . V105 (106); Bik3281 V101 (102); VSP V103; Harilal's lith.ed. V88. - BIS. 1253 (3791); Bhartr. lith, ed. II. 3. 88.
431 Wain extra 8. - BIS. 1287 (489). Paic. I. 434. Hit. III. 4 (cdai). Galan Varr. 142 (cdab). Can. 73 in Weber. Subhash. 151; Sp. 418 (Canakya); SRB. p. 39. 4 (Canakya); SA. 27. 46. -") उपकारोऽपि नीचानां; SU. 1532; PT.8. 26%3 SSD.2. f.131b; SSV.6833; SMV. 23. 21; JSV. 209. 6. 432 Meh V146.
433 AN10. - BIS. 1340 (514). Cat. 8 in Haeb. p. 239. 6 in Ewald Z.f. d. K. d. M. IV. 375. Subhash 298; Sp. 8523; SBH. 6743; SRB. p. 226. 1483 SRK. p. 189. 2 (Sp.); SDK. 4.66. 3 (p. 273); SRH. 102. 6 (Panicatantra.); ST.6.23; VS.86%DB SK. 3. 147%3D SU. 1183; PT. 10.433; PMT. 2233; SG. f. 14a3 SM. 1574; BPS. I. 35a. 225%; SSV. 1546%B SMV. 28.4; JS. 474; JSV. 284.33; SKG.f. 18a.
434 CV106 (107); BOR1329 N105 (100); Bik3280 N63; Bik3279 N44. - BIS. 1341 (3818, ef. also 520). Mbh. 5. 1018 (crit. ed. 5. 33.47), 12.5959%B SA. 23.5%; SN. 555; SSV. 15333; JS. 468.
435 GVs. 2387 V68B ISM Gore144 V190.
436 BORI 328 V145 (137); GVS 2387 V150. -4) यद्गर्भवासस्थितं. -') पाणिमस्तकपदापोस्तभव्यांकुरम् । - जराभेदैरनेकैर्भूतं. -4) वपुर (for मुहुर्); Meh V144 संदेहा: Bik3279 V141 (37).
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