Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 237
________________ ફ્ર भर्तृहरिसुभाषितसंग्रहे सखे धन्याः केचित् त्रुटितभवबन्धव्यतिकरा वनान्ते चिन्वन्तो विषमविषयाशीविषगतीः । शरच्चन्द्रज्योत्स्ना धवलगगनाभोगसुभगां नयन्ते ये रात्रिं सुकृतचयचित्तैकशरणाः ॥ ३३७ ॥ स जातः कोऽप्यासीन मदनरिपुणा मूर्ध्नि धवलं कपालं यस्योच्चैर्विनिहितमलंकारविधये । नृभिः प्राणत्राणप्रवणमतिभिः कैश्चिदधुना नमद्भिः कः पुंसामयमतुलदर्पज्वरभरः ॥ ३३८ ॥ सत्यामेव त्रिलोकीसरिति हरशिरश्रुम्बिनीविच्छटायां सत्तं कल्पयन्त्यां वटविटपिभवैर्वल्कलैः सत्फलैश् च । कोऽयं विद्वान् विपत्तिज्वरजनितरुजातीव दुःखासिकानां वक्रं वीक्षेत दुःस्थे यदि हि न बिभृयात् स्खे कुटुम्बेऽनुकम्पाम् ॥ ३३९॥ सहकार कुसुमकेसर निकरभवामोदमूच्छित दिगन्ते । NN 337_{V } Found in ADE, F1 V57; F + ( V63 = 62 ). [ Also GVS 2387 V43; BORI328 V64 (63) ; Jodhpur 3 V63; NS1 V66; NS2 V53; NS3 V113 ( extra).] *) Many unellated Mss. अहो (for सखे ). ' ) E चित्तांतर (for चिन्वन्तो ). Fi विषमविषपात्री: F + विषयविषमाशी Aoc E F विषणत:; D-विषमती: F1 - विषगर्ति. Ec. v. विषमविषयाशीर्विगलिताः . * ) F + ( m.v. as in text ) शरज्योत्स्ना चन्द्रा. - d). A3 Est. 4t मयंत्येते. 4 हरिचरणचित्तैक; Ait (orig. ) हरचरणचित्तैक-: F1 सुकृतमय मित्रैक; F4 सुकृतचरणैक; F4 m. v. हरचरणमो * * (for सुकृतचयचित्तैक-). 338_{V} Om. in AI W, GVS 2387, Punjab 2101, NS2. 2 ) Eo. 2 Fe यातः (for जातः ). X कोप्यस्मिन्. E2.4 - विजयिनो; E3 जयिनो; Es -रिपुणो; F2 -परिपूर्णा ; Jr. -रिपुबाणा (for -रिपुणा ). Bi मूर्ध पुरा; F3 मूर्ध्नि विधृत:. 6) Est Get fafagda Jat - हृदये (for -विधये ). - °) Eot X2 न्राणप्रणव' ; Yr त्राणाप्रवण ; H: केचिदधुना. - ' ) X नमद्मीवैः; 2 महद्भिः कः ; M3 नमद्भिः किं (for नमद्भिः कः ). C को पूढोप्ययम् (for कः पुंसामयम् ). Y7 अमल- (for अतुल ). G° (t.v. as in text ) ज्वरमदः. BIS. 6680 (3106 ) Bhartr. ed. p. 80. 36. Bohl. 3. 61. Haeb. 99. lith, ed. II. 28; SRB. 339 {V} Found in D E F + V103 (102) [ Also BORI328 V105 ( 103 ) ; Jodhpur 3 V100 (99) ; NS3 V120 ( extra ). ] a) F1 - वीचि (for - नीवि ). - ' ) D सद्वृत्ति:; Eot सद्वृत्तi; Es सवृत्तं ; Ec सद्वृत्ते ; F1 सद्वृत्तिं D E F तटविटप - ; Eo तटविटपि-: Es वटविटप- ( ) DF + को विद्वान्वित्तपित्तज्वरजनितरुजा तीव्रदुःखाधिकानां (F1 °खासिका). - d ) Eot. 4 वीक्ष्येत दुःस्थो E2 वीक्ष्ये तदुत्थो E F + यदिह . D चिंताम् (for -कम्पाम् ). 340 {Ś} Om. in C. In F's, missing or omitted. Not identified in Rap Pratãp. trans. " ) Ao Eo -कुषम. A1.: Eo केशर-; A2 केगर (for 'केसर - ). " Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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