Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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११३
संशयितश्लोकाः। तथाप्येतद् ब्रूमो न हि परहितात् पुण्यमधिकं
म चास्मिन् संसारे कुवलयदृशो रम्यमपरम् ॥ २८७ ॥ भव्यं भुक्तं ततः किं कदशनमथ वा वासरान्ते ततः किं
कौपीनं वा ततः किं सितममलपटं पट्टवस्त्रं ततः किम् । एका भार्या ततः किं शतगुणगुणिता कोटिरेका ततः किम्
_एको भ्रान्तस् ततः किं गजतुरगशतैर्वेष्टितो वा ततः किम्॥२८८॥ भिक्षाशी जनमध्यसङ्गरहितः स्वायत्तचेष्टः सदा
हानादानविविक्तमार्गनिरतः कश्चित् तपस्वी स्थितः ।
-)CE विचित्रा- (for विदग्धा-). Cइह (for अपि). - ) DF W1-8 भूमौ (for अमो). - 4) C कुवलयदृशां. D रम्यमधिकम्. For ce, Fs reads तथाप्यन्तस्तत्वप्रणिहितधियामप्यतिबलस्तदीयोनाख्येयः स्फुरति हृदये कोपि महिमा.
BIS. 4559 (2031) Bharti. cd. Bohl. 1. 52. Haeb. 55. lith. ed. IL. 15; SRB. p. 252. 48; Suvrttatilaka of Ksemendra (KM2, p.52, Bh.); SHV. app. II. fol. 15. 1 (Bh.); SLP. 4.65 (Bh.).
288 {v} Found in E (order bdac except in Es; Es V extra 1) F1.2 V94; F's (order abdc) V67, H and I. [Also GVS 2387 V116 (var.); BVB2 V1073 ISM Kalamkar195096 (99); BU V110 (108); Wai 2 V100%; Jodhpur 1 V64%; Jodhpur3 V72; Punjab 697 V108%; Ujjain 6414 V95 (96); BORI 328 V126 (20); NS3 V115]. - ") D भव्यं भूतां; Eo भुक्तं भुक्तं; E2-4 भक्तं भुक्तं; म भव्यं भक्तं.
H कदशितम्. F3 I अशनं (for अथ वा). -°) Eo.2-4 जीर्णा कंथा; I कोपीनं वा. D शितममलतरं; E5 सितममलपरं; F1.2 सितममलतरं; F3 सितममलमलं; H किमथ सितमहच्, I सितमयममलं (for सितममलपटं). D E F3 पट्टकूलं; Eo.2-4 पट्टसूत्रं; म चांबरं वा; I अंबरं वा. -') E0 त्वेका; E. एषा (for एका). Eo करितुरगणैर, E2-4 हयकरिसुगणैर; F3 शतगुणमणिता; Hशतगुणगणिता. Eo.2-4 आवृतोवा (for कोटिरेका). -) E एकं: H त्वेको (for एको). D भ्रातास; F1.3 भ्रातस; F2 भ्राता. H Ic करि-(for गज-). F3I -रथैर (for -शतर). Eo. 3-4 व्यक्तं ज्योतिन चांतर(E वांतं) मथितभवभयं वैभवं वा ततः किं. ____BIS. 2426 (4079) Bhartr. Schiefner and Weber p. 24. lith. ed. II. 3. 67%; SS. 55.3. SSD.4.f.29b.
289 VIOm. in A W, BORI329, Punjab 2101 and NS2. Yr missing. -०) BIJi X2 भिक्षासी. D-संगमेक-FE -संगमध्य- (for -मध्यसङ्ग-). F Ga.s वेषः सदा: J1 "चेष्टस्तदा; Y3 °चित्तस्पृहा- (for °चेष्टः सदा). -') D lacuna; E F2.5HI दानादान-3; F हीनादान;X Tiहानाहान- Y3 Mi. नानारूप-5 M4 हारादान- (for हानादान.). BF I Y2. 5.6.s Ti G5 -विरक्त; FY1 (Y1B by corr.) -विरक्तिY3 -विवक्त- (for -विविक्त-). C-वर्णरहितः; F2 -मार्गविरतः; J X Y -मार्गरहितः; Ys -मार्गनिहतः. F. मनस्वी (for तपस्वी). Bकृती; F2 कृतः;XY2.3M3 जनः (for स्थितः). -- ) Fरम्या- (for रथ्या-). CXY (Ya missing) TGi..sM-कीर्ण- D-शीर्ण-; F2.3-जीर्ण-(for -क्षीण). DIXYIn(orig.).2 GSM1.5-विकीर्ण- Ea-विस्तीर्ण- F1-किकीर्ण- FsJs-विती-G
१५ भ.सु.
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