Book Title: Shataka Trayadi Subhashit Sangraha
Author(s): Bhartuhari, Dharmanand Kosambi
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan

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Page 226
________________ संशयितश्लोकाः। १२१ अवकरनिकरू विकिरति तत् किं कृकवाकुरिव हंसः ॥ ३०७ ॥ पदेतत् खच्छन्द्यं विहरणमकार्पण्यमशनं . सहायः संवासः श्रुतमुपशमैकवतफलम् । मनों मन्दस्पन्दं बहिरतिचिरस्यापि विमृशन् न जाने कस्यैषा परिणतिरुदारस्य तपसः ॥ ३०८ ॥ यद् यस्य नाभिरुचितं न तत्र तस्य स्पृहा मनोज्ञेऽपि । रमणीयेऽपि सुधांशौ न नाम कामः सरोजिन्याः ॥ ३०९ ॥ यन् नागा मदवारिभिन्नकरटास् तिष्ठन्ति निद्रालसा द्वारे वर्णविभूषिताश् च तुरगा वल्गन्ति यद् दर्पिताः। N101]. -') Y कदापि संजातं. Eat संजातं ( for जातम् ). - ")C अविकारं (for अवकर निकरं). BiEo-2.5 Y विकरति. --") FAY3 कृतवाकुरिव. BIS. 5220. (2363) Bhartr. ed. Boh), extra 21. Haeb. 2. 107. Satakāv. 93; Sp. 811; SRB. p. 221.9 (Bhattavasudeva); SBH. 691 (Bhattavasudeva); SRK. p, 184. 11 (Rasikajivana); SSD.2. f. 17b. 308 {v} Om, in W, Jodhpur 1, NS2 and BVB 5. Missing in Y7, Mysore 682. -.) J३ यदाह. F1.2JS(W om. Xa lacuna; Yr missing); स्वच्छंद. A विरमणम् ; X विरहणम्. Y अपायस्य (for अकार्पण्यम्). Est अशमं; Y3 Gat शमनं (for अशनं). -') B C Eoc F2.3 Y1.2 M1. 3-5 सहायैः; Est Gसहाय्यैः; Esc साहाय्यैः (E com. परिकरेण सह); F1 सहा; X साहाय्ये; G1 सहाय्यः; M2 सहायः (for सहायः). X चारण्ये Ms संवादः (for संवासः). F3 Jit T3 °समैक; F शमैर (for शमैक). C -प्रतिफलं; F1-वृतफलं.-) E F मंदस्फंदं: F2 मंद मंदं; I [s]मंदस्पंदं. BC E F2-5H IJXY (Yr missing) T G9-5 M1. 8-5 f (for afa- found only in A Gi M2) D विचरति; F1 बहिरिति. A B चरस्यापि, D विमृश्याथ; F2 विमृश्यन्न; Y3 च कस्यापि (for चिरस्थापि). D सचिरं; F2-विरतं (for विमृशन). J3 चिरसाधितमृशन (corrupt). -") J3 परिणतः BIS5256 ( 4821) Bhartr. lith. ed. II. 3. 51. Schiefner and Wober p. 24; SRB.p. 368.46. .. 309 18}Om. in AC DIXY, BVB2, BORI 326, Ujjain6414 and NS3. -) F3 यद्यस्ति. B नातिरुचितं; F3 W नास्ति रुचिरं; Fs J नातिरुचिरं. --°) न तस्य सत्र. F2 corrupt; F3 स्पृहया (for स्पृहा). W तत्रास्य स्पृहाम(Wst न)भोग्यपि (W1. 20. 3c. 40 मनोज्ञपि). -") F अतिरुचिरेपि सुधांशौ. - ) Fs W न मनःकाम:सरोजिन्याः; H नलिनी नानुरागमाधत्ते. BIS. 5288 (2291) Bhartr. ed. Bohl. 1. 103; SLP. 5.39 (Bh.). 310 {N} Found in B D. E: ( N60 (59), not collated); Ts N52; and H Also BORI 329 N59 (54); Punjab2101 (N55-56): BU N55 (53); Jodhpuri N59: NS1 N55 (56); NS N55%3 NS3 N59].-") B2 मदभिन्नगल्लकरटास्. ----- ") BF हेम(for स्वर्ण-). F -विमूर्छिताश्च (for -विभूषि). B2 हेषंति (for वल्गन्ति). -) B-निनदैः (for -पणः ). Ba Fs सुसस्तु..-1)H -सिद्धि-(for -ऋद्धि-). १६ भ, सु, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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