Book Title: Sanskrit Bhasha Pradip
Author(s): Thakordas Jamnadas Panji
Publisher: Thakordas Jamnadas Panji
View full book text
________________
૨પર
५४. समूड. नम२.
સંસ્કૃત અર્થ.
ગુજરાતિ અર્થ.
" | ஞ்
सभाज
सम्
सम्ब
ஞ்
संवर्
| 3५४ प्रीतिदर्शनयोःप्रीतिसेवनयोः प्रीति ४२वी. दर्शन ४२७.
प्रीतिया सेवा ४२वी.. ८२४ अवैकल्ये
વિવેકી થવું, परिणामे
વિકાર પામવે. २२ सम्बन्धने
समय ४२वा. सम्भरणे
પિષણ કરવું. ४६ प्रभूतभावे
व . म . २२५ अर्जने
मेव ४२४ गतौ | हिंसायाम्
હિંસા કરવી. गतो
org.
८८
सम्भूयस्
सजे
सव
सलू
ससू
स्वप्ने
सस्ज् संस्तु
न.
| गतौ
| स्वप्ने ८५२ मर्षणे
सह
साध सान्त्व्
सड. अभ તૃપ્તિ પામવી. सह. सभy. ફળ સંપન્ન કરવું તૃપ્ત કરવું. સમજાવવું.
, सान्त्व સંબંધ કર. हुण माधः
साम्
मषेणे १७ संसिद्धौ
सामप्रयोगे सान्त्वप्रयोगे सम्बन्धने दौर्बल्ये बंधने -
साम्ब्
सार
ஞ்குருருரு
सिय.
सिद
30४
सिध
क्षरणे अनादरे गत्याम् शास्त्रे मांगल्येच संराद्धौ हिंसायाम्
અનાદર કરે. न. આજ્ઞા કરવી. શુભ કામ निपा. सिय.. हिसा ४२वी.
पुषादि
44444H 44
सि
सिम्भ सिल
सिव
उञ्छे सन्तुसंताने प्रसवैश्वर्ययोः
अभिषवे १ सुखक्रियायाम्
सुख
अदन्त
குரு -
રજ આપવી. ધણી થવું.
पाव સુખી થવું. मना२ ३२वी. [ही. पी थ. श्व२ थ.
२८ अनादरे ६० ऐश्वर्यदिप्त्योः

Page Navigation
1 ... 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366