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ज०वि० अति पाइया। दोनों कुमर तत्काल हो लाल । किम आजही रोक्या जावता । हुवा ___१४ | कांइ हवाल हो लाल ॥ उ०॥८॥आपण जाण अजाण में । कीनो नहीं को ! । कसूर हो लाल। विना गुन्हें अाज अपणने। नृपति राख्या दूर हो लाल ॥ उ०॥
॥ अपमान स्थान क्षीण एकही। रहणा जुगतो नाय हो लाल ॥ पुण्यें आया || 1 राजकुल विषे । आगे भी पुण्य संग प्राय हो लाल ॥ उ०॥ १० ॥ अटन किया | अन्य देश में । भाग्य परिक्षा होय हो लाल । चातुरी बल बुद्धि वढे । यों चिन्तव | ते दोय हो लाल ॥ उ०॥ ११ ॥ परवश पणे इहां रेहवो। यह तो मोटो दुःख हो । | लाल । परदेशे फिर आपण हिवा। भोगां स्वेच्छा को सुख हो लाल ॥ उ०॥ १२॥ | निशरम अपमान सही करी । पड्या रहे तेही ठाम हो लाल । निति बचन ए है । | खरो । सुज्ञ तजी लहे आराम हो लाल ॥ उ ॥ १३ ॥ ॐ श्लोक ॥ त्रय स्थान ||
न मुच्यते । काका का पुरुषा मृगा । अपमान त्रयो यांति । सिंह सत्पुरुषा गजाः | ॥ १॥ ॥ ढाल ॥ इम सोची साहस धरी । अाया मेहल के द्वार हो लाल ।