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जवि०
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नीचो कियोरे । क्रिडा उत्सहा सब भागी गयोरे ॥ पु ॥ १० ॥ धिक मुझ | बुद्धि ने अरु रिद्धि नेरे । में तो गमाइ लाज काज सिद्धिनेरे ॥ पु ॥ ११ ॥ जैसा ।
हर्ष से गया था खेलमारे । तैसा शोग से आया पाछा मेहलमारे ॥ पु ॥ १२ ॥ ४ एकान्त बैठा चिन्ता सागरे पड्यारे । अपमान दुःख अति तस मन नड्यारे ॥ पु
॥ १३ ॥ इहां रहणो मुझने जुगतो नहींरे । जावू कामपुर विजय पासे सहीरे ॥ | पु ॥ १४ ॥ पुनः चिन्ते तहां कैसे जाइयेरे । ते है राजा किम दास होय राहीयेरे ।
॥ पु ॥ १५ ॥ मंत्री साधी में भी वणुं राजीयोरे। स्वेच्छाए रहूं विन लाजीयोरे ॥ N| | पु ॥ १६ ॥ यों विचारी मंत्र संभारीयोरे । पण हृदय तास विसारीयोरे ॥ पु॥ १७ ॥ भूल्या प्रमादे याद आवे नहींरे । पश्चाताप अति पावे तबहीरे ॥ पु ॥ १८
॥ हाहा अनर्थ यह में मोटो कियोरे । महाराज दाता मंत्र भूली गयोरे ॥ पु॥ || १६ ॥ विजय विना यह तंत्र मिले. नहींरे । जाणो भाइ पास अबतो सहीरे ॥ पु
॥ २०॥ मुझ प्रमाद सुझने नीचो कोरे । पड्यो व्यश्न वश तेहथी स्ववश होरे |