Book Title: Samyaktva Shatsthana Chaupai
Author(s): Yashovijay Upadhyay, Pradyumnasuri
Publisher: Shrutgyan Prasarak Sabha

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Page 12
________________ ६०॥ मंकल एंडित मरम लिम हो मध्यायश्री रामविगलियोन अवदातक रि गरेंद्र मे बिनतंनला वीरंत लाई देशिनं सम्पक्कस्थान बकस जावेयंटितेनया! श्री वीतरागप्रमीक समरीमरमतिमाताकरिम्यंनविदितकार/मम कितना दर्शनिमोनीय कर्म तोडे बिनाश कुमाउ पमरक योपरा तेीजे निर्मल मल र दितगुष्मा नकळत नि श्रमसमकित जालि मे उक्तं न मेयसम्म पत्र सम्मतम लिग के प्राशुने मध्ये बसम वन समुहे मुरे भावर वदात्/शदर्शन रमारविनात्रा थी जे निश्मलउरावरणति समकित मजा लिझमे रख सम कितना संवेपई करी मंतेवटचानक जवाँ स्वप्रम' श्रशतंत्र कार ते स्थान के कहि जीवन तेजीवनितं तेजाब स्कुलपाप तो कर्तारं रते जीव सा१त्रा पापभावना नोक्तं क्रयं ि शेखर गावागाविनिश्तर शिकन्ना तु नाम निर्वाको रुपमोरूनो उपाय पतिविश्व पई कई तेस्मा सदशनी एवं चानक कितनो जहां एनानक. वीजेविपरीत बोलतेति भावना धानक ऑक्समतोलविदो कलर कर्म लदेर सनिलिद्वारको बेनि हा गधात मोबा५शममक्ति थानक था विपरीत मिथ्यावाद पवा સમ્યક્ત્વ ષસ્થાન ચઉપઈની, પૂજ્ય ઉપાધ્યાયજી મહારાજના સ્વહસ્તે લિખિત સ્વોપજ્ઞ બાલાવબોધવાળી ડેલાના ઉપાશ્રયની પ્રત ક્ર. ૫૦૨૮નું પ્રથમ પત્ર www.jainelibrary.org Jain Education Internatio

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