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रघुवरजसप्रकास
संख्या विपरीत ५, वरण संख्या विपरीतकौ प्रकारांतर ६, वरण संख्या स्थांन विपरीतकौ कड़ौट फेर ७, वरण संख्या स्थांन विपरीतकौ प्रकारांतर में प्रस्ट वरण प्रस्तारकौ तुकारथ लिखां छां ।
अथ वरण सुद्ध प्रस्तारका प्रकारांतरकौ लछण । चौपई
धुर लघुके ऊरध गुरु धरौ, आगे अरघ पंत सम करौ ऊबरे सौ पाछै लघु वै वरण प्रकार यम सुध गावै
अथ वरण स्थान विपरीत कड़ौट फेर प्रस्तार लछण । चौपई
अंत गुरु हे लघु ऋणौ, जुगति अग्र ऊरध सम जांणौ । ऊबरे सौ पाछै गुरु लेखौ, वरण स्थान विपरीत विसेखौ || ७१
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अथ वरण स्थान विपरीतकौ प्रकारांतरकौ लछण । चौपई
अंत लघु सिर गुरु परठीजै, रूप रध सम अग्र करीजै । ऊबरे सौ पाछै लघु लेखौ, प्रकारांतर उलट थळ पेखौ ॥ ७२
॥ ७०
अथ वरण संख्या विपरीत लघवादिकसू प्रस्तार चालै जींनै संख्या विपरीत कहीजै चौपई
फेर - फिर । तुकारथ-पंक्तिका अर्थ |
७० धुर - प्रथम । ऊरध- ऊपर । पंत-पंक्ति । येम - इस प्रकार ।
७१. हेठ - नीचे । विसेखौ - विशेष ।
७२. सिर- ऊपर । परठीजै - रखिये । पेखौ - देखिए ।
द लघु तळ गुरु धरिये एम, तव उरध सम आगे तेम | ऊबरे सौ पाछै लघु ण, वरण संख्या विपरीत बखांण ॥ ७३
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