Book Title: Raghuvarjasa Prakasa
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 364
________________ रघुवरजसप्रकास [ ३३६ छंदरौ नांम कड़खौ छंद कहीजै । निसांणी छंदरै उतरारधमें कड़खौ छंद ढाढ़ी बोहत है छै । अथ कड़खौ छंद उदाहरण छंद रसरणा रांम रट रांम रट रांम रट | राम रट रांम रट राम रट रांम रट ॥ नेह आह आह सुख गेह निज । पतीसीय भांम ॥ भूप आनूप पांण पंचाण पह | पण धनुबां ठाह गुण गाह जग ठांम ठांम ॥ सुकवि 'किसनेस' महेस भुजगेस सुज । जाप जस जेस प्रति जांम जांम ॥ ३३ Jain Education International अथ कळसरौ छप्पै कवित्त छप्पै घ कमण प्रभौ गिरण रज कण । गण || भक्खै । खै ॥ था कुरण दुध बूंदां जळ वरसात गिरौ केहौ तारक पुणे कमण तर पत्र भ्रम माया कुण मह उत्तर पथ माप आप लहरां कुण कुण सकै जोग निरणौ करै रे गोरख सिव राजरौ । किव 'किसन' समर्थ कुण जस कहण रामचंद्र महराजरौ ॥ ३४ ३३. रसणा- जीभ । सीय-सीता । भांम-स्त्री । पांण-हाथ । श्रापांण-शक्ति | पंचांगसिंह | ठाह - स्थान, ज्ञान । ठांम-स्थान । माहेस- शिव । भुजगेस- शेषनाग । जेसजिसका जांग जांम-याम याम । 1 ३४. था- सीमा या ह्दकी जांच करे । कुण-कौन । दध-समुद्र । श्रथघ प्रथाह, असीम । कमण - कौन । प्रमणे कहे। रज-धूलि । केहौ-कौन पान । ब्रह्म ब्रह्मा । भक्ख कहे । मह - भूमि, पृथ्वी । समय - समर्थ | पुणे- कहै । तर वृक्ष | पत्रश्राप - पानी । श्रक्खे - कहे । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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