Book Title: Raghuvarjasa Prakasa
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 367
________________ ३४२ ] क्र.सं. पंक्ति ३ श्रवधेस लंका ऊपर घर कुरख धंखा जुधधरं भारख श्रंगराजी दुती भळळाट रवि दरसे ५ श्रालम हाथरौ रघुनाथ चरिज, श्रवध भूप प्रसंक ४ ६ श्रोत तन तेल सिंदुरां प्रांगा ७ ८ & श्रय जे रांम स्त्रीया नित प्ररचं प्रोयरण जे रांम सोया नित श्ररच अंगधार श्रारख ऊजळा १० कमर बांधियां तूण सारंग गहियां करा ११ १३ कर कर बाद में हिक नगरण सुभंकर १२ करां धाड़ लागे रघौराज दत कीजतां करी चूर कुळ सुभावहं सादूळ कह कवसळ सुता राजकंवार क्रत जन काजरा कारकार खार बार धार सुरार संधारकार कीजै वार छिब कांम कौटिक, दीन दुख दाघौ २३६ ४ १४ २८३ ४ १५ ३१८ ४ १६ १७ कैटभ मधु कुंभ कबंध कचरिया २०३ ४ रघुवरजसप्रकास १८ १९ कौसिक रिख जग काजरे गह गंज रे गह गंज २० खगदत ब्रद खटांजी राखरण रजवटां २१ घरणनांमी जो घरणनांमी २२ चितकरणी खा दिसी नह चाहे २३ २४ २५ २६ जग जनक धनक हर हररण कररण जय जगनाथ अंतरतरणौ जांमी जम लग कठै में सीस जियां जम लग कठे में सीस जियां २७ जांनकी नायक जगत जाहर जांभी अघभांन सुरसरी जेथी २६ जिरण मुख जोवतां दुख प्राचत जावे २८ ३० जँ नरेस राघवेस श्रासुरेस जुधां जेस ३४ ३५ ३१ त कहूँ समझाय मत मंद जग फंद तज ३२ तारं दासां त्रिकमाह, भय वारे जम भूप तोकम पाळगर जन देवतरौ सौ ३३ थिर बूध थटो क्रत हीरण कटौ दखे "किसन्न " दासरे तवं विरुद्ध तास Jain Education International पृष्ठ प्रकरण पद्यांक २४६ ४ १५६ २४४ ४ १४७ २०४ ४ ७६ ३२१ ४ २६४ जयवंत सावझड़ौ ४ ७० वेलिया सांरगौर वेलियो सांरगौर २०० १७३ ४ २३ २७७ ४ ११६ २६६ ४ २५८ १८८ ४ ठताळी सावझड़ौ अरध सावभड़ौ वसंतरमरणी ५० २५८ ४ १७४ प्रहररण (न) खेड़ी ast सांगौर १६२ ४ ५८ २३० धमाळ २६२ १२६ ७४ २८८ ४ २३६ २४४ ४ १०८ ४ २४२ २२६ नाम त्रकुट बंध प्ररव भाखड़ी सोरठियो For Private & Personal Use Only कंठ सुखरौ कैवार पूणियाँ तथा जांगड़ौ सांगौर यकखरौ ब्रध चितविलास १४२ भाखड़ी ४ ११० लघुचितविलास ३०१ ४ २६२ २५५ ४ १६६ २६६ ४ १६० १७८ ४ ३४ २२२ ४ १०३ २४८ २५२ ४ १६४ २६३ ४ २२० ४ ६६ २५६ ४ १७७ २१६ ४ ३०४ ४ २७६ १६१ ४ ५४ ६४ २८० ४ २२४ सवैयौ २६१ ૪ १७६ श्रट्टौ सेलार हेकल वयरण उवंग सावड़ौ घड़उथल्ल धड़उथल्ल कुटबंध चौटियो दुमेळ सावझड़ौ विड़कंठ तथा वीरकंठ गोख सावड़ी मनमोह जयवंत सावभड़ौ www.jainelibrary.org

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