Book Title: Raghuvarjasa Prakasa
Author(s): Sitaram Lalas
Publisher: Rajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur

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Page 386
________________ रघुवरजसप्रकास [ ३६१ क्र.सं. पंक्ति पृष्ठ प्रकरण पद्यांक नाम २४० ४ १३६ १४६ ३ १३७ २२० नगणक भगरण तुकंत खट २२१ नगरण सगरण मगरगह रगरण २२२ नर-कायब करवा नियत २२३ नर तन पावै जे नरा २२४ नव कोठा मझ एक तुक २२५ न सघ बिब तोमर सगरण २२६ नस्ट संख्य विपरीत निदान २२७ ना कोज्यौ सैरणां नरां २२८ नाट सबद गिरण कवितमें २२६ निज प्रिय कहिये परम प्रिय २३० नपुर रसना भरण फरिण २३१ पड़े यगण खट चरण प्रत २३२ पढ़ता होठ मिळे नहीं २३३ पढ़ वसंत रमरणी प्रथम २३४ पद प्रत मत गुरण तीस पढ़ि २३५ पनर पनर मत दोय पय २३६ परगट कट तट तड़त पट २३७ परठ दच्छ सुधी पंगत २३८ पह ज्यांरा चित्त लागा २३६ पहल अठारह बी चवद २४० पहल ऋतीय पद सोळ मत २४१ पहल दुती तीजी मिळे २४२ पहला गुरु तळ लघु परठ २४३ पहला दूहौ एक पुरण २४४ पहली गाहो पर वजै २४५ पहली दूजी तुक मिळे २४६ पहली दूजी मेळ पढ़ २४७ पहली दूज तूं मिळे २४८ पहली बीजी तीसरी २४६ पहली तीज बार पढ़ २५० पांच भगरण गुरु अंत पद २५१ पूछ अन कवि छंद पढ़ि २५२ पूछ यूं अन कवि प्रसन २५३ पूरब अंक सिर अंकसूं २५४ पूरब अंक सिर पंतसू ७५ ३१३ ४ १२६ ३ २० १ ६५ ६४ २ ८५ भ्रमर १०२ २ २३८ .१० १ ३३ १० १ ३२ १५० ३ १४२ १.६ २ २५८ १८५ ४ ४४ ५२ २ ४१ ७२ २ १२६ ६८ २ १०५ सुनक ३५ १ १०२ ७० २ ११३ ३१७ ४ २८९ ६६ २ १०८ २३२ ४ १२१ १०४ २ २४४ ३१५ ४ २८६ mrYYY 0 rur १२५ WAA <<< << nam w - ११० १८३ १३१ ६६ २ १४६ ३ १२७ १२ २ २०७ २८ १ १४ ३७ १ १०६ ३७ १ १०७ x Mo 99 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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