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रघुवरजसप्रकास
[ २०३ अथ गीत पूणियौ तथा जांगड़ौ सांणौर उदाहरण
गीत कैटभ मधु कुंभ कबंध कचरिया, संख संभ सारीसै । खळ अवगाढ अनेकां खाया, दाढ पीसतौ दीसै ॥ रांमण इंद्रजीत खर दूखर, गंजे कंण गिणावै। खांत लगे केता खळ खाधा, वळे दांत वहजावै ॥ हरणकस्यप हैमुख हरणायख, खाधा के फिर खासी । तोपण भूख न गी तिण ताबौ, बाबौ खाय उबासी ॥ प्रसण मार रख संत सहीपण, राघव जीपण राड़ा। निज हेकल धापियौ न दीसै, जे खळ पीसै जाड़ा ॥ ७४
अथ छठौ गीत सोरठियौ सांणौर जीको लछण
मत अठार धुर तुक अवर, दस सोळह दस देह ।
सोळह दस अन अंत लघु, जप सोरठियौ जेह ॥ ७५ ७४. कैटभ-मधु नामक दैत्यका छोटा भाई जिसका विष्णुने संहार किया। मधु-कैटभ नामक
दैत्यका अग्रज जो श्रीकृष्ण द्वारा मारा गया था। कुंभ-रावणका भाई कुंभकर्ण । कबंध-एक असुरका नाम जिसका संहार रामचंद्रजीने किया था। कचरिया-ध्वंश किये। संख-एक असुरका नाम । संभ-एक असुरका नाम । सारीसै-समान । अवगाढ-शक्तिशाली। खाया-संहार किये, ध्वंश किये। दाढ पीसतौ-क्रोधमें दांतोंको कटकटाता हुआ, दांत पीसता हुआ। रांमण-रावण। इंद्रजीत-रावणका पुत्र मेघनाद। खरएक राक्षसका नाम जो रावण तथा सूर्पणखाका भाई कहा जाता है। दूखर-एक राक्षसका नाम । गंजे-नाश किये, पराजित किये। कण-कौन। गिणावे-गिना सकता है। खांत-ध्यान । केता-कितने। खाधा-नाश किये, ध्वंश किये। वळे-फिर । दांत वहजावैदाँतोंको क्रोधमें टकराते हुए ध्वनि करता है, क्रोध प्रकट करता है। हरणकस्यप-हिरण्यकशिपु, एक दैत्यराज जो प्रह्लादका पिता था। हैमुख-हयग्रीव भागवतके अनुसार एक विष्णुके अवतारका नाम, इनका वध विष्णुने मच्छावतार लेकर किया और वेदोंका उद्धार किया। हरणायख-हिरण्याक्षक नामक असुर जो हिरण्यकशिपुका भाई था। के-कई । खासी-ध्वंश करेगा, नाश करेगा। तोपण-तो भी। बाबौ-ईश्वर। उबासी-जंभाई। प्रसण-पिशुन, दुर। रख-ऋषि । संत-साधु । सही-कुशल । जीपण-जीतने वाला।
राड़ा-युद्ध । हेकल-एक, अकेला । धापियौ-अघाया। पीस जाड़ा-क्रोधमें दाँत टकराता है। ७५. मत-मात्रा । अठार-अठारह । धुर-प्रथम । देह-दे, दीजिए। अन-अन्य । जेह-जिसको।
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