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रघुवरजसप्रकास
प्ररथ त्रिभंगी गीतरै पै'ली तुक मात्रा अठारै। दूजी तुक मात्रा बारै। तीजी तुक मात्रा सोळे । चौथी तुक मात्रा बारै होय । पछै सारा ही दूहां पै'ली तुक मात्रा सोळ । दूजी तुक मात्रा बारै। ईं प्रमाण होय सौ गीत त्रिभंगी कहावै नै सोई पूणियौ सांणोर कहावै । नाम दोय छै । लछण दोय नहीं जींसू पूणियौ सांणोर प्रागै पहली कह दीधौ छै जींसू नहीं कह्यौ छै। कांम पड़े तो सात सांणोरां मांय देख लीज्यौ।
अथ गीत सीहलोर लछण
दूहो सीहलोर पिण पूणियौ, सुध लछणां सुभाय । अठ दस बारह सोळ अख, बार बि गुरु पछ पाय ॥ २००
अरथ सीहलोर पिण पूणियौ सांणोर छै । इणमें कोई भेद नहीं । पै’ली तुक मात्रा अठारै । दूजी तुक मात्रा बारै । तीजी तुक मात्रा सोळे । चौथी तुक मात्रा बारै । तुकांत दोय गुरु । पछला दूहां पै'ली तुक मात्रा सोळं । दूजी तुक मात्रा बारै । ई क्रम होय । त्रिभंगी सीहलोर से दोई पूणिया गीत छै। नामको भेद, लछण भेद नहीं जींसू प्रागै पूणियौ कह दीधौ छै सौ फेर नहीं कह्यौ । इति सीहलोर लछण निरूपण ।
अथ गीत सारसंगीत लछण
दही गीत बडा सांणोर गणा, सको सार संगीत । तेवीसह अट्ठार मत, वीस अठार प्रवीत ॥ २०१
प्ररथ सार संगीत गीतनै बडौ सांणोर गीत एक छै । नाम दोय छै। लछण एक । पै'ली तुक मात्रा तेवीस । दूजी तुक मात्रा अठारै । तीजी तुक मात्रा बीस । चौथी १६६. अठारै-अठारह । बार-बारह । ई-इस । दोधौ-दिया। जींसू-जिससे । कह्यौ-कहा। २०० पिण-भी, परन्तु । अख-कह। बार-बारह । बि-दो, दूसरी। पछ-पश्चात, बाद ।
पाछला-पश्चातका, बादका । दीधौ-दिया। २०१. सकौ-वही, वह । अट्रार-अठारद । मत-मात्रा।
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