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रघुवरजसप्रकास
अथ भ्रमर नाम अख्यर २६ गुरु २२ लघु ४
दूही ना कीज्यौ सैणा नरां, काचौ बीजौ काम । राखै लाजा संतरी, राजा साचौं राम ॥ ८५
अथ भ्रांमर नाम अख्यर २७ गुरु २१ लघु ६
कोड़ा पापां कीजतां, कोपै धू की नास । जीहा राघौ जौ जपै, तौ नाही तिल त्रास ॥ ८६
__ अथ नाम सरभ अक्षर २८ गुरु २० लघु ८
दूही मांनौ वारंवार मैं, देखे नां नर देह । गायां स्री राघौ गुणां, अ पायां फळ एह ॥ ८७
__ अथ नाम सैन अख्यर २६ गुरु १६ लघु १०
भौळा प्रांणी राम भज, तं तज झौड़ तमाम । दीहा छेल्है देख रे, कैसे हंता काम ॥ ८८
अथ मंडूक नाम अख्यर ३० गुरु १८ लघु १२
जाई बेटी जानकी, रांम जमाई रंज ।
भाग बडाई जनकरी, गाई बेद अगंज ॥ ८६ ८५. अख्यर-अक्षर । सैणा-सज्जन । काचौ-कच्चा। बीजौ-दूसरा। लाजा-लज्जा ।
साचौ-सत्य । ८६. तिल-किंचित । त्रास-भय । राघौ-श्री रामचन्द्रजी । ८८. झोड़-कलह, प्रपंच । दोहा-दिन । छल्है-अन्तिम। ८६. जमाई-दामाद । रंज-प्रसन्न, खुश । प्रगंज-न मिटने वाला।
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