SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 89
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ६४ ] रघुवरजसप्रकास अथ भ्रमर नाम अख्यर २६ गुरु २२ लघु ४ दूही ना कीज्यौ सैणा नरां, काचौ बीजौ काम । राखै लाजा संतरी, राजा साचौं राम ॥ ८५ अथ भ्रांमर नाम अख्यर २७ गुरु २१ लघु ६ कोड़ा पापां कीजतां, कोपै धू की नास । जीहा राघौ जौ जपै, तौ नाही तिल त्रास ॥ ८६ __ अथ नाम सरभ अक्षर २८ गुरु २० लघु ८ दूही मांनौ वारंवार मैं, देखे नां नर देह । गायां स्री राघौ गुणां, अ पायां फळ एह ॥ ८७ __ अथ नाम सैन अख्यर २६ गुरु १६ लघु १० भौळा प्रांणी राम भज, तं तज झौड़ तमाम । दीहा छेल्है देख रे, कैसे हंता काम ॥ ८८ अथ मंडूक नाम अख्यर ३० गुरु १८ लघु १२ जाई बेटी जानकी, रांम जमाई रंज । भाग बडाई जनकरी, गाई बेद अगंज ॥ ८६ ८५. अख्यर-अक्षर । सैणा-सज्जन । काचौ-कच्चा। बीजौ-दूसरा। लाजा-लज्जा । साचौ-सत्य । ८६. तिल-किंचित । त्रास-भय । राघौ-श्री रामचन्द्रजी । ८८. झोड़-कलह, प्रपंच । दोहा-दिन । छल्है-अन्तिम। ८६. जमाई-दामाद । रंज-प्रसन्न, खुश । प्रगंज-न मिटने वाला। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003420
Book TitleRaghuvarjasa Prakasa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSitaram Lalas
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages402
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy