Book Title: Prashnottar Vichar Author(s): Unknown Publisher: ZZZ Unknown View full book textPage 7
________________ लोग अफल्याणकरूप अत्यंत निंदनीयरूप किस कारण से मानते हैं ? ७[प्रश्न] श्रीवीर प्रभु का च्यवन और देवानंदा ब्राह्मणी की कुति से गर्भापहार होना इत्यादि सेयं-श्रेयः] कल्याणकरूप ६ वस्तुओं को माना है और तपगच्छ वाले भी उत्तमता से मानना स्वीकार करते हैं तो फिर देवानंदा ब्राह्मणी की कुक्षि में श्रीवीर प्रभु उत्पन्न हुए उसको तो कल्याणकरूप आश्चर्यरूप मानना और त्रिशला माता की कुति में श्रीवीर प्रभु गर्भापहार द्वारा आये उसको अत्यंतनिंदनीयरूप तथा अकल्याणकरूप बतलाना यह किस आगम के आधार से ? सो पाठ दिखलाइये। अन्यथा आपके गच्छ के धर्मसागरजी वगैरह का उक्त वचन आगम-संमत न होने से प्रमाण नहीं किये जायेंगे। ८ [प्रश्न] यह एक नियम है कि श्रीतीर्थकर महाराज अपनी माता की कुक्षि में आकर उत्पन्न होते हैं उसी को कल्याणकरूप माना जाता है तो ८३ में दिन की रात्रि को देवानंदा की कुक्षि से त्रिशला माता की कुक्षि में श्रीवीर तीर्थकर आकर ६ महीना और १४॥ दिन रात्रि पर्यत अंगोपांग से उत्पन्न हुए, उसको आप लोग किस शास्त्रों के पाठ प्रमाणों से अति निंदनीयरूप और अकल्याणकरूप बतलाते हैं ? ___[प्रश्न] श्रीतीर्थकर महाराज जिस समय में अपनी माता की कुति में गर्भपने से आते हैं और उस समय में माता १४ स्वप्नों को देखती है, उसीको कल्याणकरूप मानते हैं । यह एक सर्व-संमत पक्का नियम है तो श्रीवीर तीर्थकर देवानंदा ब्राह्मणी की कुत्ति से श्रीत्रिशला माता की कुत्ति में जिस समय गर्भपने से पाये उस समय माता ने १४ स्वप्नों को देखा, उसको कल्याणकShree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.comPage Navigation
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