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इस पुस्तक को पढ़कर निश्चय ही पाठकगण जैन धर्म के साहित्य एवं महत्त्व से परिचित हो सकेंगे तथा पाठक मूलग्रन्थों के समीप भी जरूर पहुँचेंगे। उसे मूल ग्रन्थों को पढ़ने की प्रेरणा भी मिलेगी। ऐसा हमारा विश्वास है ।
इस पुस्तक के सम्पादक प्रो. वीरसागर जैन का आभार व्यक्त करता हूँ । उन्होंने ग्रन्थों के विषय चयन से लेकर ग्रन्थों के सरलीकरण जैसे महत्त्वपूर्ण एवं श्रमसाध्य कार्य के लिए अपना अतुलनीय योगदान दिया । उनकी विद्वत्ता एवं अथक परिश्रम के कारण ही इस पुस्तक को मूर्तरूप प्रदान किया गया ।
सभी ग्रन्थों का सरल एवं संक्षिप्त परिचय लिखने का कार्य डॉ. सरिता जैन दोशी ने सश्रम पूर्ण किया ।
भारतीय ज्ञानपीठ के निदेशक लीलाधर मंडलोई एवं डॉ. संजय दुबे - इन दोनों को भी धन्यवाद देता हूँ कि इन्होंने इस पुस्तक के कार्य सम्पादन में अपना पूरा सहयोग दिया।
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- साहू अखिलेश जैन प्रबन्ध न्यासी, भारतीय ज्ञानपीठ