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में वासुदेव की मृत्यु हो जाएगी।
यह सुनकर बलदेव ने मुनिदीक्षा धारण कर ली। पाँचों पांडव और द्रौपदी ने भी कालान्तर में जिनदीक्षा धारण कर ली। भगवान नेमिनाथ ने सर्व कर्मों का क्षय कर मोक्ष प्राप्त किया ।
भव्य प्राणी इस पुराण को पढ़े या सुने, उसे सर्वसुखों की प्राप्ति होती है । यह पुराण कथाप्रेमियों के लिए जितना उपयोगी है, उससे कहीं अधिक इसकी उपयोगिता भारतीय संस्कृति और इतिहास के अनुसन्धान- प्रेमियों के लिए है ।
हरिवंशपुराण :: 53