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6. आपका भक्त युद्ध में विजय प्राप्त करता है। 7. आपका भक्त भयंकर समुद्र में फँस जाता है तो आपके नाम के स्मरण मात्र
से वह सुखपूर्वक तट पर पहुँच जाता है अर्थात् आपके भक्त जल के
समस्त भय से मुक्त हो जाते हैं। 8. अनेक रोगों से ग्रस्त व्यक्ति जब आपकी चरणरज को माथे पर लगाता है
आपके चरणों की धलि शरीर पर लगाने से सभी रोग दूर हो जाते हैं अर्थात् जब भक्त आपकी श्रद्धा से भक्ति करता है तो वह स्वस्थ और नीरोग हो
जाता है। 47. सम्पूर्ण भय निवारक हे प्रभु, आपके स्तोत्र मात्र को पढ़ने से आपका भक्त सभी भयों और बन्धनों से मुक्त हो जाता है। 48. मोक्ष प्राप्ति सबसे अन्त में आचार्य कहते हैं कि हे प्रभु, मैंने आपकी भक्तिपूर्वक आपके गुणों की स्तोत्र रूपी माला रची है, जो भी पुरुष इसे कंठस्थ कर निरन्तर पाठ करेगा, वह सम्मान को प्राप्त कर मोक्ष लक्ष्मी अवश्य प्राप्त करेगा।
इस प्रकार आचार्य मानतुंग की भक्तिरस से ओतप्रोत यह अमृतकृति 'भक्तामर स्तोत्र' है। श्रद्धा सहित जो भी मनुष्य इसका पाठ करते हैं वह अवश्य ही संसार के दुखों से दूर होते हैं और उन्हें निश्चय ही मोक्ष लक्ष्मी (मोक्ष-सुख) प्राप्त होती
है।
104 :: प्रमुख जैन ग्रन्थों का परिचय