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को भी पूर्ण करने का महान कार्य किया। सरसता और सरलता के साथ प्रसाद गुण भी आपकी रचनाओं में लबालब भरा है।
ग्रन्थ का महत्त्व 1. महापुराण साहित्य का एक अनुपम रत्न है। यह पुराण, महाकाव्य, धर्मकथा,
धर्मशास्त्र, राजनीतिशास्त्र, आचारशास्त्र और युग की आद्यव्यवस्था को
बतलानेवाला महान इतिहास ग्रन्थ है। 2. महापुराण सुभाषितों का भंडार है। जिस प्रकार समुद्र से महामूल्य रत्नों की
उत्पत्ति होती है, उसी प्रकार इस पुराण से सुभाषित रूपी रत्नों की उत्पत्ति
होती है। 3. यह एक आकर ग्रन्थ है। पुराण होते हुए भी इसमें इतिहास, भूगोल,
संस्कृति, समाज, राजनीति और अर्थशास्त्र आदि विषयों का समावेश है। 4. आदिपुराण और उत्तरपुराण में पूरे 63 शलाकापुरुषों का चित्रण है। वास्तव __ में यह बड़ा महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ है। इसके आधार पर ही अनेक ग्रन्थों की
रचना हुई है। 5. इस महापुराण में भगवान आदिनाथ द्वारा असि, मसि और कृषि आदि की व्यवस्था, शिक्षा व्यवस्था और नारी शिक्षा, सम्मान एवं सोलह संस्कार
आदि-आदि विषयों को विस्तार से समझाया है। 6. चक्रवर्ती भरत ने वर्ण व्यवस्था, ब्राह्मणोचित संस्कार तथा गर्भ से लेकर
दीक्षा तक की सभी क्रियाओं का विस्तार से उपदेश दिया है। अजैन को भी दीक्षा ग्रहण करने के संस्कार का उपदेश दिया है।
वास्तव में इन सारी विशेषताओं के कारण ही महापुराण जैन संस्कृति का आधार है। यह बहुत महत्त्वपूर्ण महाग्रन्थ है।
ग्रन्थ की कथा
आदिपुराण एक बार राजा श्रेणिक ने समवशरण सभा में खड़े होकर आदिनाथ भगवान का चरित्र सुनने की प्रार्थना की। तब गौतम गणधर ने आदिनाथ चरित्र कहना प्रारम्भ किया।
महापुराण (आदिपुराण और उत्तरपुराण) :: 21