Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
View full book text
________________
प्राकृतपैंगलम् का छन्दः शास्त्रीय अनुशीलन
प्रास्ताविक
काव्य, छंद और संगीत - छंदोयोजना और लय-अक्षर और मात्रा का लघु-गुरु विधान-छंदों में यति-नियम- मात्रिक छंदों में यति-विधान तुक अथवा अन्त्यानुप्रास.
संस्कृत, प्राकृतापभ्रंश और हिंदी छंद: परंपरा
वैदिक छंद:परंपरा - शास्त्रीय संस्कृत छंदः परम्परा - प्राकृत छंदपरम्परा - अपभ्रंश छंदः परम्परा - हिंदी छन्दः
परम्परा.
संस्कृत, प्राकृतापभ्रंश और हिंदी छंदःशास्त्र
संस्कृत छंदशास्त्र-संस्कृत छंदः शास्त्र की लक्षण पद्धतियाँ- प्राकृत तथा अपभ्रंश छन्दःशास्त्र-गाथालक्षणवृत्तजातिसमुच्चय- स्वयंभूच्छन्दस् - छंदः शेखर- छन्दोनुशासन - कविदर्पण- प्राकृतपैंगलम् - छंद: कोशप्राकृतपैंगलम् और हिंदी छन्दःशास्त्र.
प्राकृतपैंगलम् के छंदो का अनुशीलन
प्राकृतपैंगलम् और वर्णिक वृत्त परम्परा - प्राकृतपैंगलम् और मात्रिक छन्द
प्राकृत छंदः परम्परा का दाय
गाथा छन्द तथा उसके प्ररोह-गाहू, विगाथा, उद्गाथा, गाथिनी, सिंहिनी - स्कंधक
अपभ्रंश और पुरानी हिंदी के छंद
द्विपदी
- माला - उल्लाला - घत्ता
छंदों का वर्गीकरण - द्विपदी छंद घत्तानंद झूलणा सममात्रिक चतुष्पदी पज्झटिका अडिल्ला - सिंहावलोकित - चौपैया मरहट्ठा पद्मावती - दण्डकल (जनहरण) - त्रिभंगी ( मात्रिक) – मदनगृह - सममात्रिक षट्पदी - रसिका दोहा सोरठा चुलियाला चौबोला - मिश्रित छंद
खंजा शिखा मधुभार - दीपक – हाकलि - पादाकुलक हीर - रोला गंधाण हरिगीतागगनांग - लीलावती अर्धसम चतुष्पदी
दुर्मिल (मात्रिक)
- जलहरण
-
-
कुंडलिया
छप्पय - रड्डा
मध्ययुगीन हिंदी काव्यपरम्परा के दो प्रमुख छंद सवैया छंद का उद्भव और विकास
उपसंहार
Jain Education International
-
-
-
-
-
-
—
-
-
1
-
घनाक्षरी और उसके भेद
[21]
For Private & Personal Use Only
—
-
-
—
-
-
५१०-५२८
५२९-५४२
५४३-५६४
५६५-५७०
५७१-५७४
५७५-६४५
६४६-६५४
६५५-६५६
www.jainelibrary.org