Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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३६१-३८०
भाग-२ भूमिका
प्राकृतपैंगलम्-परिचय-संग्रहकाल-अन्तःसाक्ष्य-बहि:साक्ष्य-प्राकृतपैंगलम् का संग्राहक-प्राकृतपैंगलम्
की उपलब्ध टीकायें-प्रस्तुत संस्करण की आधारभूत सामग्री-हस्तलेखों का परस्पर संबंध. हिंदी साहित्य में प्राकृतपैंगलम् का स्थान
हिंदी साहित्य का आदिकाल और प्राकृतपैंगलम्-ऐतिहासिक तथा सामाजिक परिपार्श्व-प्राकृतपैंगलम् में उद्धृत पुरानी हिंदी के कवि-स्तोत्र मुक्तक-राजप्रशस्ति मुक्तक-शृंगारी मुक्तक-प्राकृतपैंगलम् के पद्यों की अभिव्यंजना शैली.
३८१-३९४
३९५-४१९
४२०-४५०
प्राकृतपैंगलम् का भाषाशास्त्रीय अनुशीलन प्राकृतगलम् की पुरानी पश्चिमी हिंदी
पुरानी हिंदी का उदय-मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषा का परिचय-संक्रांतिकालीन भाषा और परवर्ती अपभ्रंश-प्राकृतपैंगलम्, अपभ्रंश और अवहट्ठ-क्या प्राकृतपैंगलम् की भाषा पूरबी अवहट्ठ है ? - प्राकृतपैंगलम् और पुरानी पूरबी राजस्थानी-पिंगल बनाम डिंगल-प्राकृतपैंगलम् की भाषा पुरानी ब्रज की मिश्रित साहित्यिक शैली है - प्राकृतपैंगलम् में नव्य भारतीय आर्य भाषा के
छुटपुट चिह्न. ध्वनिविचार
लिपि-शैली और ध्वनियाँ-अनुस्वार तथा अनुनासिक-य-ध्वनि तथा य-श्रुति-व-श्रुति-व, ब तथा व का लिपीकरण-ण-न का भेद-उत्क्षित प्रतिवेष्टित ध्वनियों का अनुमान-संयुक्त महाप्राण स्पर्श ध्वनियाँ स्वरमध्यगत प्राणध्वनि (ह)-ध्वनिपरिवर्तन-छन्दोजनित परिवर्तन-स्वरपरिवर्तन-ऋ-ध्वनि का विकास-मात्रासंबंधी परिवर्तन-गुणसंबंधी परिवर्तन-उवृत्त स्वरों की स्थिति-व्यंजनपरिवर्तन
संयुक्त व्यञ्जनों का विकास-व्यञ्जनद्वित्व का सरलीकरण. पद-विचार
रचनात्मक प्रत्यय-उपसर्ग-प्रातिपदिक-लिंग-विधान-वचन-कर्ता कारक ए० व०-संबोधन ए० व०-कर्म ए० व०-करण ए० व०-संप्रदान-संबंध ए० व०-अधिकरण ए० व०-कर्ता-कर्म-संबोधन ब० व० -करण-अधिकरण ब० व०सम्प्रदान-संबंध ब० व०-विशेषण-सर्वनाम-परसर्ग-संख्यावाचक शब्द-धातु क्रियापद तथा गण-वर्तमान निर्देशक प्रकार-आज्ञा प्रकार-भविष्यत्काल-भूतकालविधिप्रकार-कर्मवाच्य रूप-णिजंतरूप-नामधातु-वर्तमानकालिक कृदंत-कर्मवाच्य भूतकालिक कृदंत
भविष्यत्कालिक कर्मवाच्य कृदंत-पूर्वकालिक क्रियारूप-क्रियाविशेषण तथा अव्यय-समास. वाक्य-विचार
वाक्य और वाक्यांश-प्राकृतपैंगलम् की वाक्यगत प्रक्रिया-कर्ता-कर्म, क्रिया आदि पदों का वाक्यगत . प्रयोग-निष्ठा प्रत्ययों का समापिका क्रिया के रूप में प्रयोग-संयुक्त वाक्य, शब्दसमूह
नव्य भारतीय आर्य भाषा का शब्दसमूह-न० भा० आ० और ध्वन्यनुकरणात्मक शब्द-प्राकृतपैंगलम् के तत्सम और अर्धतत्सम शब्द-प्राकृतपैंगलम् के तद्भव शब्द-प्रा० पैं० में देशी शब्द तथा धातुप्राकृतपैंगलम् में विदेशी शब्द.
४५१-५००
५०१-५०४
५०५-५०९
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