Book Title: Prakritpaingalam
Author(s): Bholashankar Vyas, Vasudev S Agarwal, Dalsukh Malvania
Publisher: Prakrit Text Society Ahmedabad
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पारपार महाधिकालमरली पा भारत काल मागिलतिया मज पसाबुनपा १ वरण की संयुक्डगनी हा लहार सह-अलागीमहा। मार कर दितिया अपहराम-कामना सांगारी गति एकुदमा कत्यावसतपरावमा लह रो-
ही- परिस अचानचिताच तरुणि च हरवम्मिणियाविजधारवाद
जहियाविरुद्ध जना मजारमोबसे संपितविहासंभा मोगा तो इस लाल-हरकत नसा समज सर विकारंजारा भारतानहानि सहजेठ न चलातावलन्त । बसि तुलणाकील सी उपग्लेरताना हो विसवालमीरापर
C हस्तलेख का प्रथम पृष्ठ
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C हस्तलेख का अन्तिम पृष्ठ
अनियतिपादपाल समाली गारांचलालातिनालायचरूमा। वाए। प्रवी-मानी हर मनीरामाणकाताछदावाहसकरा सिकंद-मालाधर धवनंगा सीता राकासष्ट्ररी । रेदारसा सुदामा मलासपोह-किराना छेदाले विद्या भैगी सालरा कर पिंगलबार इंदवरणीकासवनमा ताना तिवणेही समूसमानायचा सविता समयबर तकदिर
जपाशीर।।
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