Book Title: Prakrit evam Sanskrit Sahitya me Gunsthan ki Avadharana
Author(s): Darshankalashreeji
Publisher: Rajrajendra Prakashan Trust Mohankheda MP
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प्रकट करती हूँ ।
कृति की भाषा की शुद्धता को सुरक्षित रखने में प्रूफ संशोधन का कार्य अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है ।
इस अध्ययन यात्रा में शाजापुर जैन संघ के सदस्यों का भी महत्वपूर्ण सहयोग प्राप्त हुआ है । इस दृष्टि से ‘शाजापुर श्रीसंघ' के सदस्यों की आत्मीय स्मृतियाँ इस शोधकार्य का अविभाज्य अंग है, जहाँ मुझे अध्ययन के अनुकूल शांतिमय वातावरण मिला, समुचित व्यवस्था मिली और मिली सभी के अन्तर्हृदय की असीम श्रद्धा ।
इन सभी के अतिरिक्त भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में इस शोधप्रबन्ध के प्रणयन में जो भी सहयोगी बने, उन सबके प्रति मैं अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करती हूँ ।
मैंने अपने मार्गदर्शक डॉ. जैन सा. के सान्निध्य में सम्बन्धित विषय को प्रामाणिकतापूर्वक प्रस्तुत करने का पूरा-पूरा प्रयास किया है, फिर भी इसकी पूर्णता का दावा नहीं कर सकती, सम्भव है प्रमादवश कहीं कुछ कमी रह गई हो अथवा प्रूफ संशोधन में कोई त्रुटि रह गई हो, तो उसके लिए क्षमाप्रार्थी हूँ तथा योग्य निर्देश मिलने पर उसके परिमार्जन की भावना रखती हूँ ।
इस प्रकाशन में ज्ञान भक्ति का अनुपम लाभ लिया है उन भाग्यशालियों की ज्ञान भक्ति अत्यधिक अनुमोदनीय है। साथ ही इस के अक्षरांकन एवं प्रिन्टिंग में जयन्त कम्प्यूटर्स, निम्बाहेड़ा के योगदान को विस्मृत नहीं कर सकती हूँ जिन्होंने पूरा ध्यान रखकर सभक्ति कार्य किया है ।
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साध्वी डॉ. दर्शनकलाश्री
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