Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 16
________________ कान्नु = मनुवाद - अनुवादक 1 सम० =अपभ्रंश अंग्रेजी - प्रा० प्रावृत्ति, प्राचार्य ई० = ईस्वी का० ती ० = काव्यतीर्थं गु० गुजराती जि० - जिला टी०= टीका टीकाकार = डा० = डाक्टर दा० वी० = दानवीर दि० दिगम्बर न० = नम्बर न्या०ग्रा०=न्यायाचार्य न्या० ती ० = न्यायतीथं प० = न्यायालंकार न्या० ल०= = पडित पृ० = पृष्ठ प्र० = प्रकाशक- प्रकाशित प्रा० प्राकृत प्रो० = प्रोफेसर बा० =बाबू ब्र० = ब्रह्मचारी भा० =भाषा म० ० = महिलारत्व मा० मास्टर संकेत-सूची मिमिस्टर मु० = मुन्शी मू० = मूल्य ले० लेखक-लेखिका व० वर्ष = वा० = वार्षिक वि० २० = विद्यारत्न स० भ० सत्यभक्त सं० = संस्कृत, संपादक सक० =सकलनकर्ता संग्र० = = सग्रहकर्ता सपा० • सपादक-मपादिका संशो० = सशोधक सा० प्र०= = साहित्याचायें सा० २० = साहित्यरत्न सि० = सिद्धात मि० च सिद्धांत चक्रवर्ती सि० शा० = सिद्धांत शास्त्री से ० = मेठ = स्वर्गीय स्व०=== हि० = हिन्दी Ed Editor, Edited Trad Translated Pub = Publisher Tr = Translator Dy. = Digambar jain C.R. = Champat Rai J. L. = jagmander lal G. R. == Ghasi Ram

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