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संस्थापक थे और यह दो वर्ष तक चला । इसके पश्चात इन्डिया गजट, कलकत्ता गजट, मादि अग्रेजी पत्र निकले । सन् १७९६ मे भारत के गवर्नर जनरल लार्ड वेलेजली ने अखबारो पर कड़ा प्रतिबन्ध लगा दिया जो सन १८१८ मे लाई हेस्टिग्ज द्वारा हटाया गया, और उसके स्थान में कुछ नियम बना दिये गये । अत इस बीच मे पुराने पत्रो का प्रकाशन मोर नवीन पत्रो की स्थापना प्राय बन्द ही रही । सन् १८१८ के उपरान्त फिर से नवीन पत्र निकलने लगे । बगला भाषा का सर्व प्रथम पत्र 'दिग्दर्शन' श्रीरामपुर मिशन द्वारा अप्रेल सन् १८१८ मे निकाला गया। मई सन् १८१८ मे बगला का 'समाचार दर्पण' और तत्पश्चात् 'बगला गजट' निकले । उदू का सर्व प्रथम पत्र 'जाम इ जहान नूमा' २८ मार्च सन् १८२२ को और फारसी का 'मीरातुल अखवार १२ अप्रेल सन् १८२२ को निकले । ७अक्तूबर सन् १८२२ को समाचार पत्रो पर फिर से कडे प्रतिबन्ध लगा दिये गये अप्रेल सन् १८२३ मे प्रथम भारतीय प्रेस कानून बना जिसके अनुसार पत्रो के प्रकाशन के लिये सरकार की अनुमति लेना अनिवार्य थी । ४ दिसम्बर सनु १८२७ से यह कानून अशत रद्द हो गया और सन् १८३५ मे बिलकुल हटा दिया गया, किन्तु सन् १८५७ से वह फिर से लागू कर दिया गया।
उन्ही बनर्जी महोदय के एक दूसरे लेख 'हिन्दी का सर्व प्रथम समाचारपत्र' (विशाल भारत, फर्वरी सन् १९३१) से विदित होता है कि हिन्दी का सर्व प्रथम पत्र, जैसा कि प्राय समझा जाता था, सन् १८४५ मे स्थापित 'बनारस अखवार' नही था, वरन् ३० मई सन् १८२६ को कानपुर निवासी प० जुगलकिशोर शुक्ल द्वारा कलकत्ते से निकाला जाने वाला साप्ताहिक 'उदन्त मार्तण्ड' था, जिमका वार्षिक मूल्य दो रुपये था, और जो प्रत्येक मगलवार को ३७, प्रामडा तल्ला गली कोलू टोला, कलकत्ता से प्रकाशित होता था। इसके पश्चात् ६ मई सन् १८२६ को राजा राममोहन राय द्वारा दूसरा हिन्दी पत्र 'बगदूत' प्रकाशित हुआ और मन्त में सन् १८४५ मे बनारस से 'बनारस अखबार' निकला । मराठी के 'कल्प.