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सीता का बारप मासा-प्र० बा० सूरजभान वकील, मा० हि०, व. १९९८ ।
सीता चत्रि-ले० दया चन्द्र गोयलीय, प्र. जैन साहित्य भडार लखनऊ, मा० हि०, पृ० ६२, व १९१७; मा० प्रथम ।
सुकमाल चरित्र-ले. सकल कीति प्राचार्य, हि० टी० प नाथूलाल, प्र. शान चन्द जैनी लाहोर, भा० स० हि०, पृ० १४२; व० १६११ ।
सक्रमाल चरित्र-ले० सकल कोत्ति प्राचार्य, हि० टी० प नाथूलाल, प्र० जिनवाणी प्रचारक कार्यालय कलस्त्ता, भा० हिन्दी स०, पृ० १३८, प्रा० प्रथम ।
सुकमाल चरित्र-ले सकल कीत्ति भाचार्य, हिन्दी टी० प० नाथूराम, प्र. भाषा हिन्दी, पृ० १३२।
सिर सिर बाल कहा-ले० रत्न शेखर मुरि, अनु० सपा० एन० जी० सुरु, भाषा प्रा०, २० १६३३-पूना ।
सुख और सफलता के मूल सिद्धान्त-लेखक दयाचन्द गोयलीय, भाषा हिन्दी, पृष्ठ २० वर्ष १९१७ ।
सुगम जैन विवाह विधि-लेखक सपा० किशन चन्द्र जैन, प्र० चन्दन लाल, भा० स० हिन्दी, पृ० ८०, व० १९३२ ।
सुकमाल चरित्रसार-लेखक ब्रह्मने-िदत्त, अनु० उदयलाल कासलीवाल, म० हिन्दी जैन साहित्य प्रसारक कार्यालय बम्बई, भाषा हिन्दी, पृष्ठ २२, व0 १९१५, प्रा० प्रथम ।
सुख सार भजनावली-लेखक ब्र० शीतल प्रसाद, प्रकाशक मूलचन्द किशनदास कापडया सूरत, भा० हि०, पाट १५२ वर्ष १६१६, आ० प्रथम ।
सुखानद मनोरमा नाटक
सुगधदशमी कधा-लेखक ब्र० श्रुतसागर; प्रकाशक जिन वाणी प्रचारक कार्यालय कलकत्ता भाषा हि०; पृ० १६ ।
सुगधदशमी कथा (पद्य)-लेखक ब० श्रतसागर, प्रकाशक वीर जैन पुस्तकालय मुजफ्फर नगर, मा० हि०, पृ० २०, २० १९४२, मा० प्रथम ।