Book Title: Prakashit Jain Sahitya
Author(s): Pannalal Jain, Jyoti Prasad Jain
Publisher: Jain Mitra Mandal

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Page 305
________________ ( २१३) ०१, २० १५३१ । जैन धर्मनी माहिती-ले. हीरा चन्द नेमचन्द, अनु. हर जीवन रामचन्द वाह, पृ. ८६, व० १९११ । __ जैन वस्तीनी वर्तमान दशा-ले० फूलचन्द्र हरिचन्द, पु. ६८, १० १९२८। जैन साहित्यनी संक्षिप्त इतिहास-ले० मोहन लाल दुलीचन्द देशाई, पृ०१०८०, व० १६३३ । जैन सिद्धान्त प्रवेशिका-ले० पं० गोपाल दास बैरया, मनु० हरि लान बीवन राज; पृ० २२४, २० १९३८ । जैन ज्ञान महोदधि-संपा० त्रिभुवन दास, पृ० ५२, ५० १९२०।। जीव विचार-लेखक दोशी नाथा लाल सौभाग्य चन्द्र, पृ० ४८, २० १९१४। तत्वार्थ सूत्र-टी० पं० सुखलाल, पृ० १४४, व० १९३० । ओपन क्रिया विवरण-ले० मूल चन्द्र किशन दास कापड़िया, पृ० २०, प० १९१६। देव कुल पाटक-ले० विजय धर्म सूरि, पृ० २४, २० १६१५ । धर्म प्रबोधिनी-अनु० भाई लाल कपूर चन्द, पृ०४६, व० १६०६ । पंच कल्याणक पाठ-मनु० मूलचन्द किशन दास, ३१, २० १९११ । पंचमी महाल्य-अनु लाल चद्र भगवान दास, पृ० ४३, व० १६२० । पंचेन्द्रिय संवाद-ले. जीवन लाल किशन दास, पू० ४८, व० १६११ । पर्युषण समापण-ले० कानजी स्वामी; पृ०४८, व० १९३२ । प्रकरण माला-(विविध संग्रह)-पृ० ४३२, ५० १६०८। प्रतिष्ठा कल्प-पृ० ४८॥ प्राकृत व्याकरण-ले०५० बेचरदास, पृ० ४५३, ३० १९२५। . प्राचीन दिगम्बर अर्वाचीन खेताम्बर-ले० तात्या नेमिनाथ पांगल, पृ. ३६, ३० १९११॥

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