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जैन तत्व दरपन - ले० स्वामा रतनचन्द्र जी, प्र० लाला नन्नूलाल रामलाल जनी पटियाला, पृ० ५०८, व० १६१७, प्र० अव्वल ।
जैन तत्व परकाश - ले० लाला नथूराम; प्र० जन कुमार सभा जीरा, पृ० ५७, व० १६१६, प्रा० अव्वल ।
'न दूसरों की नजर में - सक० डी० सी० श्रोसवाल, प्र० पी० डी० न मंत्री श्री महावीर जैन लायबरेरी स्यालकोट, पृ० १२, ब० १६१६ । जैन धर्म - ले० महर्षि शिबबरतलाल, प्र० जैन मित्रमंडल देहली, पृ० १७६, व० १६२८, भा० अव्वल ।
जैन धर्म (सी० एस० मेघकुमार के अग्रेजी लेख का तरजुमा ) - अनु० विद्यारतन बी० ए० प्र० लाला गुरदासचन्द्र जैन, पृ० ३६, १० १६२५,
मा० अव्वल ।
जैन धर्म अजलो - ले० [लाला दीवानचंद जैनी, प्र० जैन मित्रमंडल देहली, पृ० ५६, व० १६२८ ।
जैन धर्म की कदामत - लेखक दीबानचंद जैनी, प्र० श्री जन सम्मति मित्रमंडल रावलपिंडी, पृ० २८ व० १६२५, ० मव्वल ।
जैन धर्म की कदामत - लेखक नत्थूराम, प्र० आत्माबद जैन ट्रॅक्ट सोसाइटी अम्बाला, पृ० २८, ० १६१७ प्रा० अव्वल ।
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जैन धर्म की अजमत - ले० बा० रिवत्रदास जैन मेरठी, प्र० जैन मित्र डल देहली, पृ० ३२, व० १९२६ ।
जैन धर्म दीगर मजहब से क्यों आला है-ले० प्रभुराम खत्री, प्र० जैन सन्मति मित्रमहल रावल पिंडी, पृ० ३०, ब० १६१४, प्रा० प्रब्वन ।
जैन धर्म वा किसकी परस्तिश करते हैं--ले० बा० रिखबदास जैन मेरठी, प्र० जैन मित्रमडल देहली, व० १९२६, प्रा० अब्वल ।
जैन धर्म वो परमातमा ले० बा० रिखबदास जैन मेरटी प्र० जैन मित्रमडल देहली, पृ० ४८, ० १९२३, प्रा० दोयम । जैन ममजहब के ६२ सूत्रों का खुलासा-नेखक ला० सुमेरचन्द जैन