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( १३५ ) जैन धर्म और अहिंसा-ले० मासिकचन्द , प्र० जैन युक्क संघ हाथरस, भा० हि०, पृ०१६ ।
जैनधर्म ले० नाथूराम डोंगरीय, प्र. जैन शिक्षा मन्दिर बिजनोर, भा० हि०, पृ० ११५, व० १६४१, मा० प्रथम ।।
जैन धर्म अव्यवहार्य नहीं है-ले० प० दीपचन्द वर्णी, प्र० जैन मित्र मल देहली; भा० हि०, पृ० ४४, ० १९३९, मा० प्रथम ।
जैन धर्म और डा० गौड़ का हिन्दू कोड-ले० चम्पतराय बैरिस्टर, भा० हि०, पृ० १२ व. १९२१ ।
जैन धर्म और मूर्ति पूजा-ले० विरधीलाल सेठी, प्र० ज्ञानचन्द जैन कोटा, भा० हि०, पृ० ६२, व० १६२६, प्रा० प्रथम ।
जैन धर्म और विधवा विवाह (प्रथम भाग)-ले० सव्यसाची, प्र० जैन बालविधवा महायक सभा, देहली, भा० हि०, पृ० ६०, व० १९२६, मा० प्रथम ।
जैन धर्म और विधवा विवाह (द्वितीय भाग)-ले० सव्यसाँची, प्र. जैन बाल विधवा सहायक सभा देहली भा० हि०, पृ० २३४, व० १६३१, प्रा० प्रथम ।
जैन धर्म का परिचय-ले० सेठ हीराचन्द नेमचंद, प्र. दिग० जैन मालवा प्रान्तिक सभा बडनगर, भा० हि०, पृ० ६४, व० १६१५, प्रा० प्रथम।
जैन धर्म का परिचय-ले० सेठ हीराचन्द नेमचन्द, प्र० सेठ नाथारंग गाधी, आकलूज, भा० हि०, पृ० ५६, व० १६०३, आ० प्रथम ।
जैन धर्म का मर्म-ले० कुवरसैन शर्मा, प्र० नन्नूमल जैन देहली, भा० हि०, पृ० १४, व १६१६, प्रा० प्रथम ।।
जैन धर्म का महत्त्व-ले० बा० ऋषभदास वकील, अनु० दयाचद गोयलीय, प्र० जैन मित्र मंडल देहली, भा० हि०, पृ० १६; २० १९२३, प्रा० द्वितीय।
जैन धर्म का महत्व-संपा० बा० सूरजमल, प्र. जैनमित्र कार्यालय बम्बई, भा० हि पृ० १९६; २० १६११ प्रा० प्रथम ।