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सिक पत्र पत्रिकाएं विभिन्न भाषामो तथा साप्ताहिक, पाक्षिक, मासिक, बिमासिक, पाठमासिक मादि विविध स्पो मे निकल चुकी है। इसमें से जिनके विषय मे कुछ ज्ञात हो चुका है ऐसी १६६ पत्र पत्रिकाए (९० दिगम्बर और ६६ श्वेताम्बर आदि) तो अल्पाधिक समय तक चल कर बन्द हो चुकी हैं। __ वर्तमान मे ज्ञात चालू जैन पत्रो की सस्या ८४ है जिनमे से लगभग ५० दिगम्बर, २६ श्वेताम्बर प्रौर ८ स्थानक बासी है। इनमे से हिन्दी के ५० मराठी ३, सुजराती १६, कन्नडी २, उर्दू १, अगरेजी २, हिन्दी गुजराती मिश्रित ७, हिन्दी मराठी १, हिन्दी उर्दू १, हिन्दी अंगरेजी १ हैं। इन पत्रो मे पाठमासिक २, त्रैमासिक ५, मासिक ४५, पाक्षिक १६ और साप्ताहिक १६ है । दैनिक कोई नही है।
सम्पादन प्रकाशन की उत्तमता तथा साहित्यिक एव ऐतिहासिक दृष्टि से निम्नलिखित वर्तमान जैन पत्र पत्रिकाएँ पर्याप्त महत्त्व पूर्ण है-अनेकान्त (देहली), जैन सिद्धान्तभास्कर (बारा), दी जैना एटीक्वेरी (मास), ज्ञानोदय (बनारस), श्री जैन सत्य प्रकाश (अहमदाबाद), जैन भारती (कलकत्ता), जैन गजट म गरेजी (लखनऊ), प्रात्मधर्म (सोनागढ), जैन महिलादर्श (सूरत ) मैन मित्र (सूरत), दिगम्बर जैन (सूरत), जैन सन्देश (आगरा), वीर वाणा (जयपुर), जैन जगत (वर्धा), सगम (वर्धा), वीर (देहली), श्रमण (बनारस), जैन बोधक (शोलापुर), प्रगति प्रति जिन विजय (बेल गांव), तारण सदेश (दमोह), जैन प्रचारक (देहली) जैन प्रकाश (बम्बई), प्रबुद्ध जैन (बम्बई), जिनवाणी (भोपालगढ), तरुण जैन (कलकत्ता), वीर लोकाशाह (जोधपुर) श्वेताम्बर जैन (आगरा), जैन (भाव नगर) इत्यादि ।
जैन सामयिक पत्रो के सम्बन्ध मे जैन मित्र (कातिक सुदी ६, वी० स० २४६४, पृ० ११-१२) में दिगम्बर जैन समाज के भूत और वर्तमान कालीन पत्र' शीर्षक से श्री शान्ति कुमार जैन ठवली, मापपुर मे ४८ भूतकालीन और २६ चालू पत्रो की सूची प्रकाशित की थी। उसके पश्चात श्रीयुत मगर चन्द्र माहटा ने प्रोस वाल नवयुवक वर्ष ८ संख्या १, मई सन् १९३७ के मन मे