Book Title: Prachin Lipimala
Author(s): Gaurishankar Harishchandra Ojha
Publisher: Gaurishankar Harishchandra Ojha

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir धुद्धकै समयसे इधरका इतिहास जानने के लिये धर्मबुद्धिसे अनेक राजवंशी और धनाढ्य पुरुषोंके बनवाये हुए बहुतसे स्तूप, मन्दिर, गुफा, तालाब, वापी आदिपर लगाये हुए, तथा स्तंभ और मूर्तियोंके आसनमें प्रवुदे हुए अनेक लेख; और मन्दिर, विहार, मठ आदिके अर्पण कीहुई अथवा ब्राह्मणादिको दीहुई भूमिके दानपत्र, और अनेक राजाओं के सिक्के बहुतायतके साथ उपलब्ध होनेसे उनके द्वारा, जोकि साम्प्रतकालमें सत्य इतिहास जाननेके मुख्य साधन होगये हैं, बहुत कुछ प्राचीन इतिहास मालूम होसक्ता था, परन्तु उनकी ओर किसीने दृष्टि नहीं दी, और समयानुसार लिपियों में फेरफार होते रहनेसे प्राचीन लिपियोंका पढ़ना भी अशक्य होगया, अतएव सत्य इतिहासके ये अमूल्य साधन हरएक प्रदेश में उपस्थित होनेपर भी निरुपयोगी रहे. दिल्ली के बादशाह फीरोजशाह तुग़लक़ने ई० सन् १३५६ (वि० सं० १४१३ ) के करीब अशोककी धर्माज्ञा खुदा हुआ एक स्तंभ, जिसको फीरोजशाह की लाट कहते हैं, यमुनातटसे दिल्ली में मंगवाया था. उस. पर खुदे हुए लेखका आशय जाननेके लिये बादशाहने बहुतसे विद्वानोंको एकट्ठा किया, परन्तु वे उक्त लेखको न पढ़ सके. ऐसेही कहते हैं, कि बादशाह अक्षरको भी अशोकके लेखोंका आशय जाननेकी बहुत जिज्ञासा रही, परन्तु उस समय एक भी विद्वान ऐसा नहीं था, कि उनको पढ़कर बादशाहकी जिज्ञासा पूर्ण करसता. प्राचीन लिपियोंका पढ़ना भूल जाने के कारण वर्तमान समयमै जब कहीं प्राचीन लेख मिल. जाता है, तो अज्ञ लोग उसको देखकर अनेक कल्पना करते हैं, कोई उसके अक्षरोंको देवताओंके अक्षर बतलाते हैं, कोई गडे हुए धनका बीजक कहते हैं, और कोई प्राचीन दानपत्र मिलजावे, तो उसको सिद्धिदायक वस्तुमान उसका पूजन करने लगते हैं. १५० वर्ष पहिले इस देशके प्राचीन इतिहासकी यह दशा थी, कि विक्रम, भोज आदि राजाओंके नाम किस्से कहानियों में सुनते थे, परन्तु यह कोई नहीं कहसक्ता था, कि भोज किस समय हुआ, और उसके पहिले उस वंशमें कौन कौनसे राजा हुए. भोज प्रबन्धके कर्ताको भी यह मालूम नहीं था, कि मुंज सिंधुलका बड़ा भाई था और उसके मरनेपर सिंधुलको राज्य प्राप्त हुआ, क्योंकि उक्त पुस्तकमें सिंधुलके मरनेपर मुंजका राजा होना लिखा है, तो विचारना चाहिये, कि उस समय सामान्य लोगोंको इतिहासका ज्ञान कितना होगा, जिसका अनुमान पादक स्वयं करसक्त हैं. For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 199