Book Title: Prachin Jain Sahitya Me Arthik Jivan
Author(s): Kamal Jain
Publisher: Parshwanath Vidyashram Shodh Samsthan

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Page 13
________________ ( १२ ) अध्याय : ७ राजस्व व्यवस्था १६४-१८४ कोश का महत्त्व १६४, कर निर्धारण के सिद्धान्त १६४, राज्य की आय के मुख्य स्रोत १६६, ग्रामकर १६७, भूमिकर १६८, वाणिज्यकर १७०, वर्तनीकर, १७२, निस्वामिकधन १७३, गृहकर १७४, उपहार और भेंट १७४, विजित राजाओं से प्राप्त धन १७४, अर्थ-दण्ड १७५, वेष्टि १७६, राजकीय कर-संग्रह १७६, कर की उगाही, कर मुक्ति और करापवंचन १७८,-राज्य के व्यय के स्त्रोत १७९, शासन-व्यवस्था पर व्यय १७९, सैन्य-व्यवस्था पर व्यय १८०, न्याय-व्यवस्था और सुरक्षा पर व्यय, १८१, अंतःपुर व्यवस्था पर व्यय १८२ जनकल्याण पर व्यय १८३ । अध्याय : ८ सामान्य जीवन-शैली १८५-१९७ उपभोग का महत्त्व १८५, भोजन १८५, वेश-भूषा १९८, आवास १९१, मनोरंजन १९३, शिक्षा १९५, स्वास्थ्य एवं चिकित्सा १९५ । उपसंहार १९८-२०३ सन्दर्भ ग्रन्थ-सूची २०४-२१२

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