Book Title: Pali Sahitya ka Itihas
Author(s): Bharatsinh Upadhyaya
Publisher: Hindi Sahitya Sammelan Prayag

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Page 15
________________ ( १४ ) औंग का 'अभिधम्म लिटरेचर इन बरमा' (जर्नल ऑव पालि टैक्स्ट सोसायटी, १९१०-१२), डा० सिलवा का 'ट्रीटाइज़ औन बुद्धिस्ट फिलासफी' श्रीमती रायस डेविड्स की ‘ए बुद्धिस्ट मेनुअल ऑव साइकोलोजीकल एथिक्स' (धम्म संगणि का अंग्रेजी अनुवाद, लन्दन १९००) की भूमिका, महास्थविर ज्ञानातिलोक की 'गाइड थू दि अभिधम्म पिटक (लुज़ाक एण्ड कं०, लन्दन, १९३८) एवं भिक्षु जगदीश काश्यप की 'अभिधम्म फिलॉसफी) (दो जिल्दें, सारनाथ १९४२) अत्यन्त महत्त्वपूर्ण हैं । इसी प्रकार सुत्त-पिटक, विनय-पिटक, पालि काव्य,व्याकरण, अभिलेख-साहित्य, अट्ठकथा-साहित्य आदि पालि-साहित्य के विभिन्न पहलुओं पर इतनी विवेचनात्मक सामग्री अंग्रेजी और यूरोप की अन्य भाषाओं जैसे फ्रेंच और जर्मन में भरी पड़ी है कि उसके संक्षिप्त तम निर्देश के लिए भी एक महाग्रन्थ की आवश्यकता पड़ेगी। यह कहना अतिशयोक्ति न जान पड़े इसलिए यहाँ यह बता देना जरूरी है कि गत सत्तर-अस्सी वर्षों में पश्चिमी देशों में भारतीय विद्यासम्बन्धी जो खोज-कार्य हुआ है, उसका तीन-चौथाई बौद्ध धर्म, दर्शन, साहित्य और संस्कृति से ही सम्बन्धित है।। ___ जैसा ऊपर निर्दिष्ट किया जा चुका है, हिन्दी या अन्य किसी भारतीय भाषा में पालि साहित्य के इतिहास पर लिखी जाने वाली यह प्रथम पुस्तक है। इस पृष्ठभूमि से देखने पर इसमें अनेक अनिवार्य कमियाँ मिलेंगी, जिनकी पूर्ति भावी विद्वानों की कृतियाँ करेंगी। १२-१-४७ के अपने कृपा-पत्र में पूज्य भदन्त आनन्द कौसल्यायन ने मुझे उत्साहित करते हुए लिखा था--"हिन्दी में 'पालि साहित्य का इतिहास' लिखा जाय तो ऐसा ही लिखा जाय कि अंग्रेजी इतिहास फीके पड़ जायें और १९४७ तक की साहित्यिक खोज का पूरा पूरा सार रहे।......अपनी राष्ट्र-भाषा में 'पालि साहित्य का इतिहास' लिखा जाय तो वह ऐसा ही होना चाहिए कि उसे ही पढ़ने के लिए लोगों को हिन्दी पढ़नी पड़े”। मैं नहीं कह सकता कि पूज्य भदन्त जी ने मुझसे जो बड़ी आशा बाँधी थी, उसे पूरा करने में मैं कहाँ तक सफल हुआ हूँ। परन्तु मुझे विश्वास है कि वरमा, सिंहल और स्याम के निवासी भी यदि बुद्ध के देश के इस माणवक के पालि साहित्य सम्बन्धी विवरण को पढ़ेंगे तो अधिक निराश नहीं होंगे। महापंडित राहुल सांकृत्यायन और पूज्य भिक्षु जगदीश काश्यप जी के अनुवादों से मुझे इस पुस्तक के लिखने में बड़ी

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