Book Title: Paia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Author(s): Kastursuri, Chandrodayvijay, 
Publisher: Vijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir

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Page 75
________________ पाइअवि-10 न्नाणकहाण चंदलेहाए कहा-६८ ॥४७॥ अह अण्णया नरवई पाणिगहणत्थं तं कणं मग्गेइ । सिट्ठी वि भयभीओ परमत्थं धूयं पुच्छेइ । सा हरिसपूरियंगी जणयं पइ एरिसं वयणं भणइ, पिअर ! भयं उज्झिऊणं नरवइणा सद्धिं मम विवाहं कुणिज्जसु । तओ चंदणसारेण दुल्ललियनिवेण सद्धिं चंदलेहाए विवाहो अइसयमहूसवेण झत्ति कारविओ। सो भूमिवई अभिणवपासायम्मि तं ठावित्ता भणेइ-सेद्विसुए ! जइ वि हु धुत्ती सि, तह वि हु तुं मए वंचियासि, मह पइण्णं सुणाहि-अज्जदिवसाओ आरंभिऊणं रागरत्तमणो वि तुमए सह संलावं नो काहं । सा वि साहेइ-छलसार ! सामिय ! मज्झ वि पइण्णं सुणाहिजं असणं उच्छिटुं, निजं जिमावेमि तूलियं सिज्जं । वाहावेमि अवस्सं, खंधे तं अंकदासु व्व ॥ ता अहं नृणं चंदणसरितणया वंचणचण भुवणम्मि वियाणियव्वा । तव्वयणानलजलिरो राया सोहग्गपमुहगुणगणसंजुयं पि तं दोहग्गवईणं मज्झम्मि परिखिवइ । तत्तो सा चंदलेहा तहिं पवरकुसुमगंधेहिं जिणवरपूयं कुणमाणी बहवे य सोहागकप्पतरुवरपमुहतवे समायरेइ । अन्नया तवसोसियदेहलया सा चंदलेहा तवचरणउज्जमणहेउं रायं आपुच्छिऊणं पिउणो गेहम्मि समागया । सेट्ठी अइकिसदेहं नियपुतिं दट्टणं नियउच्छंगम्मि ठवित्तु विलवेइ-हा ! हा! वच्छे ! तुमए अप्पा दुहम्मि कि खित्तो ? इमेण राइणा सद्धि तुज्झ विवाहं नेव कारवेज्जा, अहवा हैयदिव्वकयं कज्ज केण वि न निवारिज्जइ । पिउणो वयणं पडिसेहिऊण तवाणं उज्जमणं निम्मिऊणं विहिणा सिरिसंघजिणीसरदेवचलणे पूएइ, अइसयविसन्नहिययं तायं निवारिऊणं करणिज्जं कहेइ-ताय ! सयलकलाकुसलनिलयाओ पन्नासं वरकन्नाओ मह देसु, अन्नं च नियगेहाओ मम गेहं जाव एगं सुरंगं करावसु, बीयं तु पुरदुवारवासिणीए देवीए वासघराओ (वासघरंजाव), ॥४७॥ १ वञ्चनदक्षा। Jain Education AIIM For Personal & Private Use Only djainelibrary.org

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